Sant Tukaram Jayanti : संत तुकाराम जयंती पर जानें उनकी भक्ति एवं शिक्षाओं के बारे में
संत तुकाराम भारत के 17वीं सदी के मराठी संत-कवि थे, जिनका महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन में अग्रणी स्थान है. संत तुकाराम भारत के उन संतों में स्थान पाते हैं जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से जनता के भीतर भक्ति और शक्ति का संचार किया.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
तुकाराम वैष्णववाद में भगवान विठ्ठल जिन्हें भगवान कृष्ण का एक रूप माना जाता है. वे अनन्य भक्त थे. संत तुकाराम जी ने अपना सारा जीवन भक्ति की ज्योति जगाने में लगा दिया. भक्ति के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. आज भी उनकी रचनाएँ जीवन में प्रासंगिक स्थान रखती हैं और समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली हैं.
संत तुकाराम रचनाएं
काहे भुला सम्पत्ति घोरे अपार। राम राम सुन गाउ बाप रेमित्र।।
राजे लोक सब कहे तू आपना । जब काल नहीं पाया ठाना ।।१।।
माया मिथ्या मन का सब धन्दा । तजो अभिमान भजो गोविन्दा ।।२।।
राना रंकभिखारी डोंगरपर्वतकी राईकण। कहे तुका करे इलाहिईश्वर ।।
संत तुकाराम का जीवन
संत तुकाराम का जन्म देहू में हुआ था, 1629 के अकाल में उन्होंने अपनी पत्नी रखुमबाई और एक पुत्र को खो दिया. उनकी दूसरी पत्नी जीजाबाई थीं. अपनी पहली पत्नी और बेटे की मृत्यु के बाद, तुकाराम ने गृहस्थ जीवन में रुचि खोनी शुरू कर दी, लेकिन उन्होंने अपने परिवार को पूरी तरह से नहीं छोड़ा.कहा जाता है कि अपने पिता की मृत्यु के बाद तुकाराम ने गरीबों का दिया हुआ कर्ज माफ कर दिया. उनके द्वारा किए गए कार्यों ने समाज को बेहद प्रभावित किया.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
संत तुकाराम की शिक्षाएं
तुकाराम ने अपना अधिकांश समय प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर, नामदेव और एकनाथ के कार्यों के चिंतन और अध्ययन में बिताया. कहा जाता है कि उन्हें सपने में अपने गुरु राघव चैतन्य से आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिला था. एक अन्य कथन के अनुसार, भगवान विठ्ठल स्वयं उन्हें एक सपने में दिखाई दिए और तुकाराम को भक्ति रचनाएँ लिखने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने समाज में चल रहे अंधविश्वासों और कुरीतियों को समाप्त करने के लिए अपनी रचनाओं को आधार बनाया. उन्होंने भक्ति पर अनेक रचनाएँ कीं.
अभंग काव्य का श्रेय उन्हें ही जाता है और उन्होंने अपने साहित्य में लोकजीवन को भक्ति से जोड़ने का प्रयास किया. हर प्रकार के विरोधों को झेलते हुए भी उन्होंने जीवन के शुभ कार्यों को रोका नही. भक्ति के मार्ग पर चलते हुए लोगों के लिए हितकारी कामों को करते रहना ही उनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य बना रहा था.
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी