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Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Myjyotish Expert Updated 09 Dec 2022 05:52 PM IST
Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व - फोटो : google
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Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का पूजन विशेष रुप से किया जाता है.  ज्योतिष शास्त्र में इस दिन भगवान गणेश की पूजा का महत्व बताया गया है. मान्यता है कि भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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संकष्टी चतुर्थी इस महीने की 11 तारीख को पड़ रही है. इन दिनों भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि दिन को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. चतुर्थी का व्रत और पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और संकटों से भी मुक्ति मिलती है.

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी आती है. चतुर्थी तिथि 11 दिसंबर 2022 को शाम 4.14 बजे से शुरू होकर अगले दिन 12 दिसंबर 2022 को शाम 6.48 बजे समाप्त होगी. 11 तारीख को चंद्रोदय भी होगा. ऐसे में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 11 दिसंबर को ही रखा जाएगा. भगवान श्री गणेश को चतुर्थी तिथि अत्यंत प्रिय रही है. प्रत्येक मास में आने वाली चतुर्थी तिथि बहुत ही शुभदायक एवं गणेश पूजन के लिए उत्तम होती है.

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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का बहुत महत्व होता है. व्रत रखने वाले लोग चंद्रमा को देखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं. चंद्रोदय रात करीब 8:10 बजे होगा. चंद्र देव का पूजन करने से सभी प्रकार के दोष भी शांत होते हैं. 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवास रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं. साथ ही रुके हुए काम पूरे होने और सुख-समृद्धि मिलने की भी मान्यता है.

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.  फल और लड्डू का भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद व्रत का संकल्प लेना उत्तम होता है. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दे कर पूजा को संपन्न करना चाहिए. गणेश चालीसा और गणेश का पाठ करना भी अच्छा होता है. इस दिन व्रत पूजा द्वारा मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
 

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