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Sakat Chauth 2023 : इस बार मंगलवार के दिन संकष्टि होगी बहुत विशेष, गणेश जी की पूजा से होगी सभी मनोकामनाएं पूरी
हिंदू कैलेंडर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. माघ चतुर्थी को दक्षिण भारतीय राज्यों में संकटहारा चतुर्थी के रुप में भी जाना जाता है. यह एक शुभ समय होता है. जो भगवान गणेश के पूजन रुप में मनाया जाता है. यह पर्व प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह के दौरान कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पर मनाया जाता है. इसके अलावा जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो यह अंगारकी चतुर्थी के रूप में लोकप्रिय है और सभी संकष्टी चतुर्थी दिनों में सबसे शुभ मानी जाती है.
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संकष्टी चतुर्थी का उत्सव भारत के उत्तरी और दक्षिणी दोनों स्थानों में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है. संकष्टि संस्कृत मूल है और इसका अर्थ है 'संकट समय से मुक्ति' जबकि 'चतुर्थी' का अर्थ है चौथा दिन जो भगवान गणेश का दिन. इसलिए इस शुभ दिन पर भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि उन्हें जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने और हर कठिन परिस्थिति में विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त हो. भगवान उन सभी पर अपनी कृपा करें.
संकष्टी चतुर्थी पूजन
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त जल्दी उठकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं. भगवान के निमित्त उपवास रखते हैं. इस दिन कुछ लोग निर्जल एवं फलाहार उपवास रख सकते हैं. इस दिन फलाहार व्रत को करने वाला केवल फल, दुध मेवे इत्यादि का सेवन करते हैं. इस दिन के मुख्य भारतीय आहार में मूंगफली, आलू और साबुदाना खिचड़ी भी शामिल होती है.
संकष्टी पूजा शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद की जाती है. भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और ताजे फूलों से सजाया गया है. इस दौरान दीपक जलाया जाता है. वैदिक मंत्रों का पाठ करना भी किया जाता है. इसके बाद भक्तों द्वारा विशेष मास की 'व्रत कथा' का पाठ किया जाता है. शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है.
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मोदक और लडडू भगवान गणेश के अन्य पसंदीदा खाने से युक्त विशेष 'नैवेद्य' प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है. इसके बाद एक 'आरती' होती है और बाद में सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन, विशेष पूजा अनुष्ठान भी चंद्रमा या चंद्र भगवान को समर्पित होते हैं. इसमें चंद्रमा का पूजन भी विशेष रुप में होता है.
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सकट चौथ मंगलवार के दिन पड़ रही है जो अंगारक चतुर्थी के रुप में मनाई जाएगी. 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से चतुर्थी शुरू होगी. इसका समापन अगले दिन 11 जनवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगा. इस दिन बनने वाले शुभ योग इस प्रकार हैं.
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 7.15 से 9.01 बजे तक, प्रीति योग: सुबह जल्दी से 11 बजकर 20 मिनट तक, आयुष्मान योग: सुबह 11 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन रहेगा.
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