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Safla Ekadashi: आज इन शुभ योगों के साथ मनाई जाएगी एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजा

Myjyotish Expert Updated 19 Dec 2022 05:08 PM IST
Safla Ekadashi: आज इन शुभ योगों के साथ मनाई जाएगी एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजा
Safla Ekadashi: आज इन शुभ योगों के साथ मनाई जाएगी एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजा - फोटो : google
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Safla Ekadashi: आज इन शुभ योगों के साथ मनाई जाएगी एकादशी, ऐसे करें व्रत और पूजा 


सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है. इस बार 19 दिसंबर को आ रही है, यह इस साल की आखिरी एकादशी भी होगी अत: इस एकादशी का महत्व ओर भी विशेष रहेगा. शास्त्रों में इसे भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला और मोक्ष देने वाला बताया गया है जिस कारण यह सफला एकादशी के नाम से पुकारी जाती है.

इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से यदि भगवान प्रसन्न होते हैं तो घर में साक्षात लक्ष्मी का वास होता है. आइये जानते हैं आज किन शुभ योगों के संयोग से मनेगी यह एकादशी ओर क्या है इसका महत्व 

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सफला एकादशी पूजा मुहूर्त
सफला एकादशी तिथि प्रारंभ- 19 दिसंबर 2022 को प्रातः 3 बजकर 32 मिनट से
सफला एकादशी तिथि समाप्त- 20 दिसंबर 2022 को 2 बजकर 32 मिनट पर

एकादशी पूजा एवं शुभ योग 
भगवान श्रीहरि की पूजा के लिए प्रत्येक दिन ही शुभ है किंतु एकादशी का अपना अलग महत्व रहा है. आज 19 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक अमृत के चौघड़िया में और उसके बाद सुबह 9 बजकर 47 मिनट से 11 बजकर 06 मिनट तक शुभ के चौघड़िया में भगवान का पूजन कर सकते हैं. दोपहर 12 बजे के बाद आमतौर पर भगवान की पूजा नहीं की जाती है.

सोमवार को जब भगवान शिव का पूजन भी विशेष रुप से होता है तो आज ही के दिन एकादशी का समय होने से यह समय अत्यंत ही शुभ हो जाता है. सोमवर के दिन एकादशी का होना बहुत ही शुभफल प्रदान करता है. 

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सफला एकादशी व्रत महत्व 
सफला एकादशी के दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं. कुछ लोग इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. ऐसे लोगों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान की पूजा करनी चाहिए. पूजा के लिए स्नान के बाद साफ स्व्चछ वस्त्र पहन कर पूजा आरंभ करनी चाहिए. पूजा में पीले या केसरिया रंग का उपयोग उत्तम माना गया है. 

अगर घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, इसके अलावा किसी विष्णु मंदिर में जा कर दर्शन एवं पूजा कार्य करना चाहिए. लक्ष्मीजी सहित भगवान विष्णु की मूर्ति का पंचगव्य से अभिषेक कर पंचोपचार पूजा करना चाहिए. पीला चंदन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पीतांबर, धूप, दीपक, नैवेद्य पान आदि अर्पित करें.

पूरे दिन व्रत रखें और शाम को फलाहार कर व्रत खोला जा सकता है. इस दिन गरीबों और भिखारियों को खाने के लिए कुछ दान कार्य अवश्य करना चाहिए. इस दिन श्रीमद्भागवत के किसी एक अध्याय का पाठ करना उत्तम माना गया है. इस तरह व्रत करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
 

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