25 अगस्त को गुरु पुष्य पर दुर्लभ संयोग, 1500 सौ साल में नहीं मिला ऎसा शुभ योग
ज्योतिष में कुछ बहुत ही शुभ योगों में से एक नाम आता है पुष्य नक्षत्र योग का. यह योग बहुत कम बनता है लेकिन जब बनता है तो कई तरह के शुभ फलों को देने वाला होता है जिसे देख कर सभी विस्मृत हुए बिना नहीं रह पाते हैं. ज्योतिष में इसे बहुत शुभ माना जाता है. गुरुवार के दिन जब भी पुष्य नक्षत्र होता है तब इस योग के निर्माण की शर्त पूर्ण होती है.
यह एक अत्यंत उत्तम युति होती है जो इस बार 25 अगस्त के दिन बन रही है. यह बहुत ही शुभ माना जाता है. इस बार यह शुभ संयोग 25 अगस्त को होने के साथ ही इस दिन कुछ अन्य योग बनेंगे जिनका संयोग एक साथ होना अत्यंत ही दुर्लभ है. इस दिन और भी कई शुभ योगों के होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है.
अदभुत फलों को देता है यह योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक उपयोग में आती है. इस समय पर कोई भी काम अपनी शुभता में ईजाफा ही पाता है. इससे हर चीज की शुभता बढ़ती है. जब यह पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन से मेल खाता है तो इसे सोने पर सुहागा होने वाली कहावत के रुप में पूरा होते देखा जा सकता है. सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है. गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र की युति बहुत मुश्किल से बनती है. इस बार 25 अगस्त को ऐसा ही शुभ संयोग बन रहा है. इसके साथ ही इस दिन और भी कई शुभ योग बन रहे हैं. यह एक दुर्लभ संयोग माना जाता है. खरीदारी के लिए यह दिन बेहद खास माना जाता है.
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गुरु पुष्य के दिन कौन से शुभ योग बनेंगे?
पंचांग के अनुसार बृहस्पतिवार के दिन से पहले ही पुष्य नक्षत्र का आरंभ होगा 24 अगस्त बुधवार को दोपहर करीब 13.34 से शुरू होगा जो अगले दिन यानी 25 अगस्त, गुरुवार शाम 04.50 बजे तक रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और वरियन नामक तीन बड़े शुभ योग होंगे. इसके साथ ही चंद्रमा के कर्क राशि में होने से शुभता मिलेगी. बुध का कन्या राशि में होना, शनि का मकर राशि में होना, सूर्य का सिंह राशि में होना, बृहस्पति के मीन राशि में होना.
ग्रहों की स्थिति होगी उत्तम
सभी ग्रहों के स्वराशिगत होने की स्थिति और इस योग का होना अत्यंत ही दुर्लभ है. जो अनेकों वर्षों के बाद हुआ है. उभयचारी, हर्ष, सरल और विमल नाम के राज योग कहे जाएंगे इस दिन बनेंगे. ऐसे में दस शुभ योग होने के कारण खरीदारी का बड़ा शुभ संयोग बन रहा है. सभी ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित हैं. यह बहुत ही दुर्लभ संयोग है जब इतने सारे ग्रह एक साथ स्वराशि में हों. पुष्य नक्षत्र पर शनि और बृहस्पति का प्रभाव अधिक होने के कारण इस युति का महत्व और भी बढ़ गया है. पिछले 1500 वर्षों में गुरु पुष्य का ऐसी स्थिति में कोई संयोग नहीं था.
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