myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Rama Ekadashi 2022: By listening to this story of Rama Ekadashi, all financial troubles are overcome, know the

Rama Ekadashi 2022:  रमा एकादशी की इस कथा को सुनने से दूर होते हैं सभी आर्थिक संकट, जानिए कथा विस्तार से

Myjyotish Expert Updated 20 Oct 2022 09:28 AM IST
Rama Ekadashi 2022:  रमा एकादशी की इस कथा को सुनने से दूर होते हैं सभी आर्थिक संकट, जानिए कथा विस्ता
Rama Ekadashi 2022:  रमा एकादशी की इस कथा को सुनने से दूर होते हैं सभी आर्थिक संकट, जानिए कथा विस्ता - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन

Rama Ekadashi 2022:  रमा एकादशी की इस कथा को सुनने से दूर होते हैं सभी आर्थिक संकट, जानिए कथा विस्तार से 


21 अक्टूबर 2022 को रमा एकादशी का व्रत किया जाएगा. रमा देवी लक्ष्मी जी का एक अन्य नाम है अत: इस दिन एकादशी व्रत का पालन करने से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है तथा भक्त को आर्थिक संकट से मुक्ति भी मिलती है.  

मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों 

महालक्ष्मी की कृपा से रमा एकादशी व्रत कथा सुनने से जीवन में कभी भी कोई धन हानि नहीं होता है. आइए जानते हैं रमा एकादशी व्रत की कथा.

रमा एकादशी पूजा मुहूर्त 
रमा एकादशी का व्रत का आरंभ 21 अक्टूबर 2022 को होगा, इसके नियम दशमी तिथि से है शुरु हो जाएंगे. कहा जाता है कि रमा एकादशी व्रत कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और महालक्ष्मी की कृपा से जीवन में कभी भी कोई आर्थिक लाभ नहीं होता है. 

रमा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर के राजा मुचुकुंद ने अपनी पुत्री चंद्रभागा का विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन से कर दिया था. शोभन शारीरिक रूप से काफी कमजोर था. वह एक समय भी भोजन के बिना नहीं रह सकता था. कार्तिक मास में दोनों राजा मुचुकुन्द के पास आ गए, उस समय रमा एकादशी थी. पिता के राज्य में रमा एकादशी का व्रत मनुष्य के साथ-साथ पशु भी करते थे. चंद्रभागा चिंतित थी क्योंकि पति भूखा नहीं रह सकता था, इसलिए उसने शोभन को दूसरे राज्य में जाकर भोजन करने के लिए कहा.

शोभन ने चंद्रभागा की बात नहीं मानी और रमा एकादशी का उपवास करने का फैसला किया. सुबह तक शोभन की जान चली गई थी. अपने पति की मृत्यु के बाद, चंद्रभागा अपने पिता के साथ रहकर पूजा और उपवास करती थी. वहीं एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन को अगले जन्म में देवपुर नगरी का राज्य प्राप्त हुआ जहां धन और ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं रही. एक बार राजा मुचुकुंद के शहर का एक ब्राह्मण सोम शर्मा, देवपुर से गुजरता है और शोभन को पहचानता है. ब्राह्मण पूछता है कि शोभन को यह सब ऐश्वर्य कैसे मिला. तब शोभन उसे बताता है कि यह सब रमा एकादशी का परिणाम है लेकिन यह सब अस्थिर है.

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

शोभन ने ब्राह्मण से अपने धन को स्थिर करने का उपाय पूछा. इसके बाद ब्राह्मण वापस शहर में आता है और पूरी कहानी चंद्रभागा को बताता है. चंद्रभागा ने बताया कि वह पिछले आठ साल से एकादशी का व्रत कर रही हैं, इसके प्रभाव से पति शोभन को पुण्य फल की प्राप्ति होगी. यह कहकर वह शोभन के पास जाती है. चंद्रभागा अपनी पत्नी का व्रत धर्म पूरा करते हुए अपने व्रत का पुण्य शोभन को सौंपते हैं, जिसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से देवपुर का वैभव स्थिर हो जाता है और दोनों सुख से रहते हैं.
 

ये भी पढ़ें

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X