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Home ›   Blogs Hindi ›   Rahu Ketu is not always inauspicious, many times rare yogas are made in the horoscope.

Rahu Ketu Yog: राहु केतु हमेशा नही होते अशुभ कई बार कुंडली मे बनाते है दुर्लभ योग

Myjyotish Expert Updated 31 Mar 2022 05:06 PM IST
राहु केतु हमेशा नही होते अशुभ कई बार कुंडली मे बनाते है दुर्लभ योग
राहु केतु हमेशा नही होते अशुभ कई बार कुंडली मे बनाते है दुर्लभ योग - फोटो : google
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राहु केतु हमेशा नही होते अशुभ कई बार कुंडली मे बनाते है दुर्लभ योग


राहु और केतु दोनों अशुभ ग्रह माने जाते हैं। लोगों के बीच इनके दुष्प्रभाव काफी प्रचलित है। जब भी राहु और केतु की बात आती है तो लोगो के दिमाग में उनके नकारात्मक प्रभाव ही आते हैं। परंतु राहु और केतु जातक की कुंडली में कई बार ऐसे शुभ योग बना जाते हैं जिससे जातक को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। राहु और केतु केवल अशुभ योग ही नहीं बनाते हैं बल्कि वे शुभ योग भी बनाते हैं। आज हम आपको राहु केतु से बनने वाले राहुकेतु राजयोग के बारे में बताएंगे। कैसे बनता है जातक की कुंडली में यह योग और जातक के जीवन पर क्या होता है इसका प्रभाव

जातक की जन्मकुंडली में अन्य ग्रहों के साथ साथ राहु और केतु को भी काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। यह दोनों ग्रह शुभ और अशुभ प्रकार के फल देते हैं। राहु कठोर, चोरी, दुष्कर्म, त्वचा के रोग जैसे कारकों का ग्रह माना जाता है। जब यह किसी जातक की कुंडली में अशुभ होता है तो उसे जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं जब यह जातके की कुंडली में चौथे, पाँचवें, दसवें या ग्यारवें स्थान पर बैठा होता है तो यह शुभ परिणाम देता है।

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार केतु पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। जब यह अशुभ होता है तो यह बहुत कष्टकारी साबित होता है इसका कष्ट इतना भयंकर होता है कि जातक के साथ साथ उसकी संतान को भी इसकी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जब यह किसी की कुंडली में एकादश भाव में विराजमान होता है तो यह उसके लिए शुभ फलदायी होता है। द्वादश भाव में केतु के होने पर जातक को उच्च पद प्राप्त होता है, साथ ही वह अपने शत्रुओं पर भी विजय पाता है।

अब बात करते हैं उन परिस्थितियों की जिनके कारण राहु केतु राजयोग बनता है। जब राहु या केतु केंद्र में त्रिकोण के स्वामी के साथ विराजमान होते हैं तब राहुकेतु राजयोग बनता है। जब राहु केंद्र या त्रिकोण के स्वामी के साथ एकादश भाव में स्थित होता है और यही संबंध राहु के स्थान पर केतु से बन रहे होते हैं तब भी राहुकेतु राजयोग बनता है। एक और परिस्थिति है जिसमें राहु केतु राजयोग बनता है जब जातक की कुंडली में राहु या केतु केंद्रीय त्रिकोण में अन्य किसी स्थान में विराजमान होते हैं और कुंडली के केंद्रीय एवं त्रिकोणेश दोनों से संबंध बनाते हैं तब भी यह योग बनता है।

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 जैसा कि इस योग के नाम से ही पता चल रहा है कि राहु केतु राजयोग अर्थात राहु केतु के कारण बनने वाला राजा का योग। जिसकी  कुंडली में यह योग बनता है ऐसे व्यक्ति को राजा के समान सुख प्राप्त होता है। उसके जीवन में हमेशा सुख समृद्धि, सम्पत्ति, ऐश्वर्य आदि बना रहता है।

यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु की अशुभ दशा चल रही है और आप चाहते हैं कि वे आपके लिए शुभ फलदायी हो तो आपको कुछ उपाय करने चाहिए। राहु की दशा को सुधारने के लिए जातक को दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए और साथ ही मांसाहारी भोजन और मदिरा का सेवन त्याग देना चाहिए। जो व्यक्ति रोजाना पक्षियों को बाजरा खिलाता है ऐसे व्यक्ति की राहु की दशा ठीक होती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से जातक की कुंडली में राहु की दशा बेहतर होने लगती है।

शनिवार का व्रत रखने से केतु की दशा बेहतर होती है। जो लोग केतु कोप्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें कम से कम 18 शनिवार तक व्रत करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने से केतु के शुभ परिणाम हासिल होते हैं।

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