Puja Niyam : पूजा में अक्सर इन 5 बड़ी गलतियों के कारण अधूरी रह जाती है मनोकामना
देवी-देवताओं की पूजा करते समय व्यक्ति पूजा के कुछ नियमों की अनदेखी कर देता है जिस कारण उसे पुण्य की जगह पाप का भागीदार बनना पड़ता है, आइए आज हम आपको बताते हैं 5 नियम
देवी-देवता की पूजा से जुड़े जरूरी नियम
( सनातन परंपरा ) हिंदू धर्म में किसी भी देवी या देवता की पूजा करने के लिए कुछेक नियम बनाए गए हैं, जिसे ईश्वर की साधना को सफल बनाने और उनसे मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए बेहद जरूरी माना गया है. जो लोग इन नियमों की अनदेखी करते हैं, उन्हें सालों साल पूजा करने पर भी उसका फल नहीं प्राप्त होता है.
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पूजा से जुड़े नियमों की अनदेखी करने पर न सिर्फ उनकी मनोकामनाएं अधूरी रह जाती हैं, बल्कि गलत तरीके से पूजा करने का उन्हें दोष भी लगता है. यदि आपको लगता है कि आपके द्वारा की जाने वाली पूजा का पूरा फल नहीं मिल रहा है तो आपको इस लेख में बताए गए महत्वपूर्ण नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
ईश्वर की पूजा के 05 जरूरी नियम
वास्तु के अनुसार किसी भी देवी–देवता की पूजा करते समय कभी भूलकर भी दीपक और जल का कलश एक साथ या फिर कहें आस–पास नहीं रखना चाहिए. वास्तु के अनुसार पूजा के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले जल के कलश या पात्र को हमेशा उत्तर–पूर्व यानि ईशान कोण की ओर और देवी–देवताओं के लिए जलाए जाने वाले दीपक को हमेशा दक्षिण–पूर्व दिशा यानि आग्नेय कोण की ओर रखना चाहिए.
ईश्वर की पूजा करते समय कभी भी प्रयोग में लाए गए अथवा बासी फूल नहीं चढ़ाना चाहिए. देवी–देवता की पूजा में हमेशा खिले हुए फूल चढ़ाने चाहिए. इसी प्रकार कभी किसी देवता की पूजा में उन पुष्पों को भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए जो निषेध माने गए हों.हिंदू धर्म में किसी भी देवी–देवता के लिए की जाने वाली पूजा में आसन का बहुत महत्व होता है.
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ईश्वर की पूजा में हमेशा देवी–देवता या नवग्रह विशेष से जुड़े रंग का आसन प्रयोग में लाना चाहिए. मान्यता है कि बगैर आसान के जमीन पर बैठकर पूजा करने वालों को उसका फल नहीं मिलता है. इसी प्रकार नंगे सिर भी पूजा नहीं करना चाहिए.ईश्वर के लिए की जाने वाली पूजा का कभी भी अभिमान या यशोगान नहीं करन चाहिए.
मान्यता है कि देवी–देवताओं की पूजा में प्रयोग की जाने वाली चीजों का अभिमान और उसका प्रदर्शन करने पर उसका फल नहीं मिलता है. ईश्वर की साधना हमेशा एकांत में और शुद्ध मन से करना चाहिए.ईश्वर की साधना का सबसे जरूरी नियम यह है कि इसे हमेशा शांत और शुद्ध मन से करना चाहिए.
ईश्वर की पूजा करते समय न तो कभी भी इधर–उधर की बातों की ओर मन ले जाना चाहिए और न ही किसी पर क्रोध करना चाहिए. मान्यता है कि ईश्वर की पूजा करते समय मन में गलत भाव लाने पर उसका फल नहीं मिलता है. इसलिए व्यक्ति को चाहिए, कि वह है एकाग्रता के साथ भगवान का ध्यान करें और पूरी श्रद्धा से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें.
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