Pradosh Vrat: शुक्र प्रदोष व्रत का योग देगा सुख-समृद्धि में वृद्धि का वरदान
आश्विन माह के समय पर किया जाने वाला प्रदोष व्रत भक्तों को अच्छे ओर शुभ परिणाम देने में सहायक होता है. इस समय के दौरान किया जाने वाला पूजन एवं दान समस्त प्रकार के दोष का नाश भी कर देता है.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
शुक्रवार के दिन प्रदोष का समय होगा, इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से जीवन के समस्त दोष शांत होते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन एवं रुद्राभिषेक करना अत्यंत विशिष्ट माना जाता है. 7 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि होने के कारण शुक्र प्रदोष का योग बनेगा. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
शिव-पार्वती पूजा अनुष्ठान
आश्विन माह के समय पर किया जाने वाला शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत सभी प्रकार के नकारात्मक फलों को शांत करने वाला होता है. प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने का एक शुभ दिन है.
शुक्रवार के दिन होने पर सभी प्रकार के शुक्र ग्रह के दोष शांत करने वाला भी होता है. इस दिन के व्रत द्वारा भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति होती है. इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करता है और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करता है, उस पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है. शुक्रवार के इस व्रत के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा.
प्रदोष व्रत का महत्व
स्कंद पुराण में इस व्रत का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि किसी भी उम्र का व्यक्ति इस व्रत को रख सकता है और इस व्रत को दो तरह से रखने का प्रावधान है. कुछ लोग इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ करते हैं और इसे सूर्यास्त तक रखते हैं और शाम को भगवान शिव की पूजा करके अपना उपवास तोड़ते हैं, जबकि कुछ लोग इस दिन चौबीस घंटे व्रत रखते हैं और रात में जागरण करते हैं. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और व्रत संपन्न करना चाहिए.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
शुक्र प्रदोष का महत्व
शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार अलग-अलग दिनों में त्रयोदशी तिथि पड़ने पर इसके फल का महत्व भी बदल जाता है. शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने के कारण शुक्र प्रदोष का योग बनता है.
इस संयोजन में भगवान शिव की पूजा और उपवास करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं. शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से नौकरी और व्यापार में सफलता मिलती है. इस दिन उपवास और शिव-पार्वती की पूजा करने से समृद्धि आती है. दाम्पत्य जीवन में भी सौभाग्य और सुख में वृद्धि होती है.
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- सिंह राशि के लिए साल 2022 रहेगा सफलता से भरपूर, पढ़े क्या होगा ख़ास
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी