प्रदोष व्रत में महादेव और माता पार्वती की पूजा जाती है। मान्यता है की अगर महादेव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करनी है प्रदोष व्रत वाले दिन इनकी विशेष पूजा करें। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है।
पहला कृष्णपक्ष और दूसरा शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। इस साल नवंबर में कुल दो प्रदोष व्रत हैं, जिनमें से एक शनि प्रदोष व्रत है , जो 5 नवंबर 2022 दिन शनिवार को है। और दूसरा सोम प्रदोष व्रत , जो 21 नवंबर 2022 दिन सोमवार को पड़ रहा है।
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सप्ताह के जिस दिन भी यह व्रत पड़ता है, उसी के अनुसार प्रदोष व्रत का नाम भी पड़ता है। ऐसी मान्यता हैं कि जो भी व्यक्ति पूरे सच्चे मन से इस व्रत को करता है तो उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं। आइए जानते है नवंबर महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के बारे में और प्रदोष व्रत की पूजा विधि :–
शनि प्रदोष व्रत 05 नवंबर 2022 दिन शनिवार
प्रदोष व्रत सप्ताह के जिस दिन पड़ता है उसी दिन के नाम से प्रदोष व्रत होता है। इस बार शनिवार को प्रदोष व्रत है , तो इसलिए शनि प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन में से विष निकला और उसको कोई भी पीने से माना कर दिया तब देवों के देव महादेव ने इस विष का पान किया था और जब महादेव ने इस विष का पान किया था तो उस दिन, त्रयोदशी का दिन था।
इसलिए सारे देवताओं ने महादेव का आभार प्रकट करने के लिए प्रदोष काल में उनकी विशेष रूप से पूजा अर्चना की थी। और ऐसा करने से देवों के देव महादेव बहुत प्रसन्न हुए थे। तभी से प्रदोष काल में महादेव की पूजा की विधि विधान से की जाती है। ऐसी मान्यता है की शनि प्रदोष व्रत को रखने से शनि संबंधी दोष दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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सोम प्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022 दिन सोमवार
इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। और सोमवार को पड़ने की वजह से सोम प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाएगा। दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार को है तो आप इस दिन चंद्र देव की विधि विधान से पूजा करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रह से जुड़े सारे दोष खत्म हो जाएंगे। हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार इस दिन महादेव की पूजा करने से उनके भक्त के जीवन में से सारी परेशानी खत्म हो जाती है।
मान्यता है की इस दिन महादेव बहुत प्रसन्न मुद्रा में रहते है , तो महादेव इस दिन कैलाश पर्वत में नृत्य करते है। हिंदू धर्म के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने से शिव कृपा बनी रहती है घर में सुख समृद्धि और धन धान भरा रहता है। प्रदोष व्रत करने से शिव कृपा बनी रहती हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दे कर आप अपना रोज की पूजा करके पूरे विधि विधान से शिव जी की पूजा अर्चना करें। इस दिन आप दिन भर जो भी काम करें लेकिन शिव जी का मंत्र जाप करना ना भूले। मन में ही शिव मंत्र का जाप करते रहे। ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन जो व्रत करता है वो दिन में नहीं सोता है।
इस दिन व्रती फिर से शाम को नहाकर शिव जी की पूजा पाठ करते है। महादेव की पूजा करते समय एक बात का ध्यान दे की , भगवान शिव की पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप हमेशा रुद्राक्ष की माला से और गोमुखी में छिपाकर कर करें।
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