Pongal 2023: कब और कैसे मनाया जाता है पोंगल का पर्व, जानें पोंगल का महत्व
देश भर में मनाया जाने वालासूर्य संक्रांति पर्व देश के अ -अलग नगरों में अनेकों नामों से मनाया जाता है. मकर संक्रांति, लोहड़ी, खिचड़ी पर्व, उत्तरायण इत्यादि नामों से मनाया जाता है. दक्षिण भारत में यह समय पोंगल पर्व के रुप में उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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भारत के पंजाब, दिल्ली और हरियाणा राज्यों में इसे लोहडी़ या मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है और तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. भारत के दक्षिण प्रांत में पोंगल के त्योहार का बहुत महत्व है. पोंगल पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल के साथ होती है. पोंगल पर लोग भगवान इंद्र की पूजा करते हैं
पंगल पर्व लोक महत्व
पोंगल का त्योहार हर साल सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है. जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति और लोहड़ी मनाई जाती है, वहीं दक्षिण भारत में पोंगल को लेकर खासा उत्साह रहता है. इस बार पोंगल का त्योहार 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. पोंगल पर्व भी कृषि एवं कृषक से जुड़ा पर्व है. देश भर में खेती और फसलों से जुड़ा हुआ ये पर्व जीवन का परिचायक बनता है. इस दिन भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
आस्था और समृद्धि के प्रतीक पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. पोंगल के प्रत्येक दिन का एक अलग नाम होता है. पहले दिन को भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कनुम पोंगल कहा जाता है. पोंगल की शुरुआत भोगी पोंगल से होती है.
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पोंगल पूजा
पोंगल पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल से होती है, जो भगवान इंद्रदेव को समर्पित है. इस समय पर भगवान का पूजन किया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के भोग भी बनाए जाते हैं. भोगी पोंगल को इंद्रन के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अच्छी फसल के लिए बारिश के देवता इंद्र को धन्यवाद देते हैं. कहा जाता है कि भगवान इंद्र की पूजा से सुख-समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. भोगी पोंगल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन तमिल का नया साल शुरू होता है.
पोंगल पर लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान इंद्रदेव की विशेष पूजा करते हैं. इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और पुरानी और बेकार चीजें को घर से बाहर कर देते हैं. घर की हर चीज की सफाई की जाती है और फिर घर को सफेद चावल के लेप से सजाया जाता है. रंगोली कोलम घर के आंगन और मुख्य द्वार पर बनाया जाता है और इसी स्थान पर पोंगल बनाया जाता है. पोंगल की शाम को लोग इकट्ठा होते हैं और लोक गीत गाते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं और मिठाई खिलाते हैं.
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