Pitrudosh : क्या होता है पितृदोष, कुंडली में कैसे बनता है? जानें कारण और उपाय
कुंडली के ग्रह नक्षत्रों के अनुसार व्यक्ति का शुभ और अशुभ योग का निर्माण होता है। अगर व्यक्ति के कुंडली में शुभ योग है तो , उसे सारे ऐशो आराम,धन दौलत यहां तक की राजसत्ता में भी सुख की प्राप्ति होती है। और अगर अशुभ है तो जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा होता है और सफलताएं बहुत कम हासिल होती हैं। कुंडली में कई तरह के दोष होते है।
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जैसे की अगर पितृ दोष की बात करें तो इस दोष को वजह से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। आपके कुंडली के अनुसार आपके ऊपर पितृ दोष है तो परिवार में लड़ाई- झगड़े, अशांति, अचानक से धन की हानि का होना, बीमारियां और मानसिक तनाव और भी न जानें कितनी परेशानियां आ जाती है। आइए जानते है की कब पितृ दोष लगता है, इसको दूर करने के उपाय ;
पितृदोष किसे कहते हैं?
हिंदू धर्म में पितृ दोष को सबसे बड़ा दोष माना जाता है। ज्योतिषों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या फिर ये भी हो सकता है की उस व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए तो इससे परिवार के लोगों सहित कई पीढ़ियों को पितृदोष का सामना करना पड़ता हैं।
हिंदू धर्म में ये भी मान्यताएं मिलती हैं कि मरने के बाद हमारे पूर्वज की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती हैं,जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर करते है, उन्हें कष्ट देते हैं तो उस समय वो आत्माएं हमें शापित कर देती है। वो शाप ही हमें पितृ दोष लग जाता है।
कुंडली में पितृदोष का कब बनता है?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य, मंगल और शनि विराजमान हो तो पितृदोष बनता है। इसके अलाव अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठ जाते हैं तो पितृ दोष का निर्माण होता है।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
जब कुंडली में राहु केंद्र या त्रिकोण में मौजूद हो तो पितृदोष बनता है। वहीं जब सूर्य,चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है तो व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष बनता है। पितृ दोष तभी लगता है जब आप अपने जीवित माता पिता का अनादर करें। किसी लालच वश आप उनकी हत्या कर दे।
पितृदोष के लक्षण
पितृ दोष अगर आपके परिवार में है तो परिवार का कोई भी सदस्य शांति से नहीं रह सकता हैं। उसे किसी न किसी प्रकार का मानसिक तनाव बना ही रहेगा। किसी से आपकी बनेगी। बेवजह किसी से झगड़ा हो जायेगा। विवाह में अड़चने आएंगी। घर की स्त्री मां नहीं बन पाएंगी। आप पर कर्जे होते जायेंगे।
इस कारण से भी पैदा होता है पितृदोष
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता की जब हमारे बड़े बुजुर्ग मर जाते है, तब हम किसी कारणवश उनका अंतिम संस्कार नहीं कर पाते है या फिर पितरों का तर्पण नहीं कर पाते है,तब इस स्थिति में पितर नाराज हो जाते हैं और अपने परिवार के सदस्यों का श्राप दे देते हैं। ये भी मानना है की सापो को मारने से भी पितृ दोष लगता है।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के कुछ उपाय ;
अमावस्या पर श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें।
पितृ दोष को कम करने के लिए शांति का पाठ करवाएं।
घर के दक्षिण दिशा में पितरों का फोटो लगाकर नियमित पूजा करें।
हर माह में आने वाली चतुर्दशी तिथि को पीपल पेड़ के नीचे दोपहर को दूध चढ़ाएं।
सोमवार की सुबह स्नान करके शिव मंदिर में जाकर 21 फूल, दही, बेलपत्र चढ़ा कर शिवजी की पूजा करें।
किसी जरुरतमंद को अपनी क्षमता के अनुसार भोजन दान में दे , या फिर किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करने से भी पितर खुश होते हैं।
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