पितृपक्ष 2022 : कब से शुरू होगा पितृपक्ष, जानें महत्वपूर्ण तिथियां, नियम और उपाय
अगर इतिहार में जाए तो श्राद्ध वैदिक काल के बाद से शुरू हुआ। वसु, रुद्र और आदित्य श्राद्ध के देवता माने जाते हैं। हिंदू धर्म में कोई भी व्यक्ति शुभ काम पितृपक्ष में नहीं करता है। क्योंकि पितृपक्ष में ही पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पितरों का ये विशेष पूजा आश्विन मास में किया जाता है।
ये माह पितरों के लिए होता है। पितृपक्ष न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिष की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा महत्व रखता है, क्योंकि पितरों की पूजा करने से न सिर्फ उनका आशीर्वाद मिलता है, बल्कि कुंडली से जुड़ा पितृदोष भी दूर होता है। ऐसा बताया जा रहा है की , वैसे तो पितृपक्ष 15 दिनों का होता है लेकिन इस बार षष्ठी तिथि का क्षय होने से श्राद्ध पक्ष 14 दिन का है।
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पौराणिक कथाएं भी मिलती है , वाल्मीकि रामायण में माता सीता द्वारा पिंडदान देने से दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का संदर्भ आता है। अपने वनवास काल में भगवान राम ,लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम गये थे।इसी प्रकार मार्कण्डेय जी ने पितरों के बारे में वायु पुराण में कहा है की किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति को पूर्वजों के श्राद्ध से विमुख नहीं होना चाहिए। लेकिन इस बात पर भी जोर दिया है की व्यक्ति सामर्थ्य के अनुसार ही पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करे। उपनिषदों में कहा गया है कि देवता और पितरों के कार्य में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं कब से शुरु होगा पितृपक्ष और क्या है इससे जुड़े नियम ।
कब से शुरू होगा पितृपक्ष
इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर 2022 दिन शनिवार से शुरू होकर , 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को समाप्त हो रहा है। इस तिथि में जिस भी व्यक्ति के घर परिवार से जुड़े दिवंगत लोग है तो उनका श्राद्ध और तर्पण मरे हुए व्यक्ति के तिथि पर होता है। ताकि उसकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक का जो समय होता है वो पितृपक्ष का समय होता है।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
पितृपक्ष का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की विशेष पूजा करनी चाहिए। और उनकी मुक्ति की कामना करें। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ पितरों का श्राद्ध करता है उस व्यक्ति पर पितरों का पूरा आशीर्वाद बरसता है। जिससे उसे जीवन में सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं पर जो व्यक्ति ये सब नहीं मानता है और पितरों की उपेक्षा करता है तो ऐसे ही व्यक्ति को पितृदोष लगता है। जिसके कारण उसे जीवन में तमाम तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है।
पितृपक्ष से जुड़े जरूरी नियम
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में सिर्फ पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण आदि करने का विधान है। पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। परिवार से जुड़े किसी दिवंगत व्यक्ति की तिथि पर ब्राह्मण को आदर के साथ घर पर बुला कर सात्विक भोजन कराएं। इसके साथ ही आपकी जितनी क्षमता हो उसी के अनुसार दान दक्षिणा दे कर ब्राह्मण को पूरे सम्मान से विदा करें। एक बात का और ध्यान दे की जब पितरों के नाम पर दान दे तो उस समय किसी भी प्रकार का अहम ना रखें।
पितृपक्ष की प्रमुख तिथियां
- पूर्णिमा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022-
- प्रतिपदा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022
- द्वितीया श्राद्ध – 11 सितंबर 2022
- तृतीया श्राद्ध – 12 सितंबर 2022
- चतुर्थी श्राद्ध – 13 सितंबर 2022
- पंचमी श्राद्ध – 14 सितंबर 2022
- षष्ठी श्राद्ध – 15 सितंबर 2022
- सप्तमी श्राद्ध – 16 सितंबर 2022
- अष्टमी श्राद्ध – 18 सितंबर 2022
- नवमी श्राद्ध – 19 सितंबर 2022
- दशमी श्राद्ध – 20 सितंबर 2022
- एकादशी श्राद्ध – 21 सितंबर 2022
- द्वादशी श्राद्ध – 22 सितंबर 2022
- त्रयोदशी श्राद्ध – 23 सितंबर 2022
- चतुर्दशी श्राद्ध – 24 सितंबर 2022
- अमावस्या श्राद्ध – 25 सितंबरर 2022
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