ऐसे में संतान के विकास में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं वहीं घर में लगातार क्लेश बना रहता है | कार्यक्षेत्र में रुकावट से कई तरीके के समस्याएं झेलनी पड़ती है | नौकरी और व्यापार में बढ़ोतरी नहीं होती है | इसीलिए ऐसी मान्यता है कि यदि इन समस्याओं से छुटकारा पाना है तो यह दिन बेहद महत्वपूर्ण है |
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पिठौरी अमावस्या की तिथि और मुहूर्त -
पिठौरी अमावस्या 6 सितम्बर को शाम 7:40 से शुरु होकर अगले दिन यानि 7 सितम्बर को 6:23 बजे तक रहेगी |
पिठौरी अमावस्या का महत्व -
इस दिन मां दुर्गा की आराधना करते हैं अमावस्या के तीन महिलाएं मां दुर्गा की आराधना करके मां को पसंद करती हैं | इस दिन पितु तर्पण करने से सभी दुखों से निजात मिल जाता है और घर में सुख शांति बनी रहती है | यह दिन भगवान कृष्ण को समर्पित होता है | बेटे की लंबी आयु के लिए इस दिन कामना की जाती है और इस दिन दान दक्षिणा करने का बेहद महत्व माना जाता है | ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दान करने से हमारे पूर्वज खुश होते है | अमावस्या के दिन ही किसी नदी पर जाकर पितु तर्पण करना चाहिए | और गरीब को खाना खिलाना चाहिए इससे बहुत खुश होंगे और घर में सुख शांति बनी रहेगी संतान सुख भी मिलेगा | कार्यक्षेत्र में उन्नति होगी और हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी | बरसों से रुके हुए कार्यों मे वृद्धि होंगी | और कई दिनों से चल रही साथ समस्या से भी छुटकारा मिलेगा और संतान का भी स्वाथ्य अच्छा रहेगा | हर मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे और उसके ऊपर मिलेंगे | व्यापार में भी वृद्धि होगी और नौकरी से जुड़ी समस्याओं से भी समाधान प्राप्त होगा | यदि उस दिन पूजा पुरे विधि - विधान से और पूरे मन से की जाती है तो उसका फल अवश्य प्राप्त होता है |
पिठौरी अमावस्या पूजा की विधि -
इस दिन जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में किसी भी नदी में स्नान करे | और जिस समय सूर्य देव का उदय होता है उस समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे | और इस पितरो का कर्मकांड के साथ तर्पण करे | पितरो की आत्मा की शांति के लिए व्रत भी करे और ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवाए और गरीब को दान दे | ब्राह्मण को भोजन करा कर उन्हें दान दक्षिणा अवश्य दें | इससे उनके आशीर्वाद से आप की पूजा संपूर्ण होगी |
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