18 जुलाई 2021 को रविवार के दिन:
गुप्त नवरात्रि की समाप्ति हो रही है. ऎसे में गुप्त नवरात्रि का ये अंतिम दिन तंत्र साधकों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है. इस अंतिम दिन में सामान्य साधक भी देवी की पूजा करके माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
दुर्गा पूजा में गुप्त नवरात्रि:
एक अत्यंत प्रभावशाली समय होता है. ये समय दश महाविद्याओं शक्तियों के साथ संबंध स्थापित करने एवं आद्यात्मिक यात्रा को आगे बढा़ने में अत्यंत ही कारगर है, क्योंकि यह समय तंत्र साधना से जुड़ा होता है इसलिए मुख्य रुप से तांत्रिक कर्म करने वालों के लिए ही इसकी महत्ता बताई गई है. लेकिन भक्ति में कभी भी कोई अवरोध नहीं होता है इसलिए इस समय को यदि कोई सामान्य साधक इस समय का लाभ चाहता है तो उसे कुछ नियमों का पालन करते हुए इस गुप्त नवरात्रि पूजा को करना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि:
गुप्त नवरात्रि पूजा के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. अपने सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर. स्नान इत्यादि के पश्चात पूजा का संकल्प धारण करना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि में शुचिता एवं शुद्धि का अत्यंत महत्व होता है. किसी भी प्रकार की अपवित्रता का यहां कोई स्थान नहीं है. यदि साधक की शुचिता एवं शुद्धि में किसी प्रकार की कमी होती है तो साधना सफल नहीं हो पाती है. देवी की पूजा हेतु स्वच्छ एवं साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. जिस स्थान पर पूजा करनीहै उस स्थान को भी पवित्र एवं शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक होता है. यदि आप किसी कच्चे स्थान पर पूजा स्थल बनाना चाहते हैं तो उसे गंगाजल द्वारा शुद्ध करके अपनी पूजा वहां आरंभ कर सकते हैं.
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पूजा स्थान पर मात अकी प्रतिमा अथवा चित्र इत्यादि रखने हेतु चौकी को गंगा जल से शुद्ध करके उस पर लाल वस्त्र को बिछाना चाहिए. उस चौकी पर देवी की प्रतिमा अथवा चित्र इत्यादि को स्थापित करना चाहिए. जल से भरा एक कलश भी उस स्थान पर रखना अत्यंत आवश्यक होता है. कलश पर आम के पत्ते रखने चाहिए और मौली से उसे बांधना चाहिए और उस पर एक पानी से भरा हुआ नारियल रखना चाहिए. नारियल पर भी मौली लपेटनी चाहिए.
सर्वप्रथम गणेश जी का आहवान करने के पश्चात शक्ति का आहवान करना चाहिए माता को लाल रंग की चुनरी अर्पित करनी चाहिए, लाल रंग का तिलक उनके भाल अर्थात माथे पर लगाना चाहिए. रोली, अक्षत, लौंग, लाल फूल, कपूर, घी का दीपक इत्यादि वस्तुओं को पूजा की सामग्री में शामिल चाहिए. इसके बाद कलश व नारियल पर भी तिलक करके पूजन करना चाहिए. माना जाता है की कलश में देवों का वास होता है. हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर शक्ति का स्मरण करते हुए माता की पूजा करनी चाहिए. इस पूजा में दशमहाविद्याओं का आहवान होता है. तंत्र साधकों द्वारा इन महाविद्याओं का पूजन इस समय पर विशेष रुप से किया जाता है.
इस दिन दशमहाविद्या मंत्र जाप करने चाहिए, इसके बाद अक्षत और पुष्प को मां को अर्पित करना चाहिए. देवी मां को फल-मेवे इत्यादि का भोग लगाने चाहिएं. संपूर्ण दिवस दुर्गा मंत्र जाप करते हुए एवं दशमहाविद्याओं का ध्यान करते हुए सामान्य साधक भी इस गुप्त साधना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
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