मौली बांधना वैदिक परंपरा (Vedic period) से चला आ रहा है। मौली एक तरह का रक्षा सूत्र (rakshasutra)है ,जब भी कोई पूजा हो तो मौली को कलाई (wrist)में बांधी जाती है। वह रक्षा(protector) का कार्य करते हैं। वही मौली को हाथ में बांधने पर उसे उप मणिबंध कहा जाता है । ज्योतिष विद्या (Astrology) बताती है कि हाथ के मूल में तीन रेखाओं का मिलान ही मणिबंध कहलाता है । साथ ही जीवन रेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। यह तीनों रेखाएं दैहिक ,दैविक ,भौतिक (daily physical strengths) तापा को मुक्त करने की शक्ति रखती है। यह शिव (Lord Shiva), विष्णु(Vishnu) और ब्रह्मा (Brahma ji) का रूप देती है। साथ ही लक्ष्मी ,सरस्वती जी(goddess Lakshmi and Saraswati) भी यहां विराजमान रहती हैं ।मौली को कलाई में बांधने से व्यक्ति (person) को मरण, विद्वेष ,भूत-प्रेत ,जादू-टोने व नेगेटिव शक्तियों से राहत पहुंचाया जा सकता है।
क्या है मौली-
मौली एक प्रकार से कच्चे धागे से बनी हुई सूट है । यह तीन रंग(3 colours) से मिलकर बनी है- लाल, पीले, हरे ( red color, yellow and green) लेकिन कई बार यह पांच रंगों (5 colours) के रूप में भी देखने को मिल जाती है । लाल, पीले, हरे ,नीले और सफेद रंग में ।( also in red, yellow, green, blue and white). मौली को तभी त्रिदेव और पंचदेव नाम से भी जाना जाता है।मौली अर्थात 'सबसे ऊपर'। यह शरीर के ऊंचे हिस्से सिर को दर्शाता है । भगवान शंकर (Shiva)के सिर(head) पर चंद्रमा विराजमान है तो उस प्रकार उसे चंद्रमौली नाम से जाना जाता है।
किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व बात कीजिए ज्योतिषी से