खुशी और उमंग के साथ मनाया जा रहा है ओणम पर्व, पढ़ें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें
ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम का उत्सव चिंगम (सिंघम/सिंहम्) मास में भगवान वामन की जयन्ती और राजा बलि के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है।
ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाना वाला पावन पर्व है जो मलयालम सौर कैलेण्डर पर आधारित होता है।
ओणम पर्व हर साल चिंगम माह में मनाया जाता है जिस दिन थिरुवोणम नक्षत्र प्रबल होता है।
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ओणम का पावन पर्व भगवान विष्णु के वामन रूप में अवतार लेने पर मनाया जाता है और राजा बलि के धरती पर हर साल आगमन से जुड़ी मान्यता को लेकर यह त्योहार मनाया जाता है।
मान्यता है कि थिरुवोणम वाले दिन राज बलि अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं, जिनके भव्य स्वागत के लिए लोग अपने अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं। हर घर के सामने फूलों की रंगोली बनाई जाती है।
केरल के लोगों को ओणम पर्व का पूरे साल इंतजार रहता है। क्योंकि इस दिन हाथियों के साथ कुछ अलग करने को मिलता है। इस दिन हाथियों को विशेष रूप से सजाकर लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
ओणम पर्व पूरे दस दिनों तक धूम-धाम से मनाए जाता है। ओणम पर्व के दिन घरों और आंगनों में जगह जगह पर लोग रंगोली बनाते हैं।
ओणम के पर्व पर लोग अपने अपने घरों में कई तरह के लजीज पकवान बनाते हैं, जिसे 'ओणम साद्या' कहते हैं। उस स्वादिष्ट व्यंजन में चड़ी,रसम, पुलीसेरी, खीर समेत कई प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं।
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ओणम के पावन पर्व पर केरल में तमाम तरह के खेल और प्रतियोगिताएं होती हैं। जिसकी तैयारी कई महीनों से की जाती है।
ओणम पर्व के मौके पर केरल में हर साल नौका दौड़ खेल आयोजित की जाती है। जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं। जिसकी वजह से यहां पर काफी भीड़ जमा हो जाती है।
इस पर्व में महिलाएं भी हिस्सा लेती है। खुशी एवं उमंग से भरे इस पावन पर्व को महिलाएं पारंपरिक तिरुवथिरा कलि नृत्य करते मनाती हैं। इस दिन कथकली नृत्य का विशेष रूप से आयोजन किया जाता है।
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