जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाएं उनका यह प्रिय भोग, मस्तिष्क होगा तेज बढ़ेगी बुद्धिl
जन्माष्टमी व्रत पूजन में श्री कृष्ण भगवान को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह भोग कृष्ण भगवान को सबसे ज्यादा पसंद हैl हिंदू धर्म में श्री कृष्ण भगवान बहुत ही प्रिय देवता है .इनके भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैले हुए हैं और हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं. पंचांग के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था. इस लिहाज से कुछ लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाएंगे, वहीं उदया तिथि की गणना के अनुसार 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना भी उत्तम हैl कृष्ण भगवान को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग बहुत प्रिय है. मान्यता है कि बिना पंचामृत के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है. इस लिए इन्हें पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनकर तैयार होता है. इसे देवताओं का पेय भी कहते हैंl
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पंचामृत भोग का महत्व
श्री कृष्ण पूजा में भगवान को पंचामृत का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसलिए श्री कृष्ण जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. इससे भगवान कृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते है. जिन पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद होता है. उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होती. घर-परिवार में शांति बनी रहती है. नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है. भगवान कृष्ण की कृपा से सुख समृद्धि में वृद्धि होती हैl
पंचामृत को चरणामृत भी कहते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि पंचामृत से प्रतिरक्षा में सुधार होता है. मस्तिष्क तेज होता है. पंचामृत के उपयोग से पित्त दोष भी संतुलित होता हैl
शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत में व्रत की पहली रात्रि को हल्का भोजन करना चाहिए.जन्माष्टमी व्रत में पूजा पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके करें. जन्माष्टमी के व्रत का पारण श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाने वाले चरणों में को ग्रहण करने के बाद भी किया जाता है। कुछ लोग इस चरणामृत को घर में ही बना लेते हैं जबकि कुछ लोग इस चुनाव को ले भगवान श्री कृष्ण के मंदिर से लेकर आते हैं .व्रत का पारण मध्यरात्रि के बाद ही करेंl
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