नीलम रत्न जानिये क्यों इन राशियों के लिए होता है इतना खास
राशि और ग्रह अनुसार कुछ रत्नों को बहुत ही विशेष माना जाता है. इसमें एक रत्न नीलम का नाम काफी प्रसिद्ध रहा है. नीलम कोई साधारण रत्न नही माना गया है, यह एक ऎसा रत्न है जिसका प्रभाव तुरंत देखने को मिल जाता है. इस रत्न की विशेषता इसे धारण करने के बाद स्पष्ट रुप से दिखाई देती है.प्रत्येक ग्रह का एक प्रतिनिधि रत्न भी करता है. यहां हम जिस नीलम रत्न की बात कर रहें, उसका संबंध शनि ग्रह से माना जाता है. नव ग्रहों के रत्नों में यह रत्न बहुत प्रभावशाली होता है और जिस व्यक्ति की कुण्डली में शनि देव निर्बल या नीच राशि के होते हैं यदि वह इस रत्न को धारण करते हैं तो उसका चमत्कारिक लाभ व्यक्ति को दिखाई देता है.
ज्योतिष अनुसार शनि का रत्न हर किसी के लिए नही है इस रत्न को तभी ग्रहण करना चाहिए जब कुंडली में यह आपके लिए जरुरी होता है. अगर बिना सोचे समझे इसे धारण किया जाए तो यह खराब असर दिखाने में देर नही करता है. शनि जिनके लिए अनुकूल है उन्हें यह रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. ऐसा माना जाता है कि नीलम 24 घंटे में अपना असर दिखाना शुरू कर देती है. इसलिए इसे सोच समझकर ही धारण करना चाहिए. आइए इसे धारण करने की विधि और लाभ के बारे में जान लिया जाए जिससे इसका उपयोग हमें अनुकूल फल दे पाए और साथ ही कौन सी राशियों के लिए यह उपयुक्त होता है.
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इस राशि वाले धारण कर सकते हैं
वैदिक ज्योतिष के अनुसार वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातक के लिए नीलम रत्न अच्छा माना गया है. इन में तुला और वृष वालों के लिए यह अत्यंत ही शुभ होता है और इसे धारण कर सकते हैं. क्योंकि कन्या, तुला, मिथुन और वृष राशि के लिए शनि देव योगकारक एवं मित्र हैं. वहीं यदि शनिदेव उच्च के होकर बैठे हों तो भी नीलम धारण कर सकते हैं. इसके साथ ही शनि देव यदि लग्न, द्वितीय और भाग्य भाव में स्थित हों तब भी नीलम धारण किया जा सकता है.
नीलम धारण कब करना उपयुक्त होगा
रत्न शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो वे अपनी कुंडली की जांच करवाकर नीलम धारण कर सकते हैं. शनि जिनकी कुंडली में भाग्य का स्वामी हो वह इसे पहन सकते हैं जिनके लिए शनि योगकारक हो वह भी इसे धारण कर सकते हैं. वहीं जिन लोगों का व्यवसाय लोहा, खनिज, पेट्रोलियम या गैस से संबंधित है, वे भी नीलम धारण कर सकते हैं. नीलम को केवल शनिदेव की महादशा में ही धारण किया जा सकता है. नीलम धारण करने से शनि का लाभ मिलता है. विचार की क्षमता का विकास होता है और किसी भी प्रकार की सफलता मिलती है.
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