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Home ›   Blogs Hindi ›   Navratri Ghatsthapna: Very rare coincidence of Navratri after 1563 years, do the establishment and worship at this time.

Navratri Ghatsthapna: 1563 साल बाद नवरात्रि का अति दुर्लभ संयोग, इस समय पर करें घटनस्थापना एवं पूजन।

Myjyotish Expert Updated 02 Apr 2022 12:10 PM IST
नवरात्रि घटस्थापना 2022
नवरात्रि घटस्थापना 2022 - फोटो : google
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नवरात्रि घटस्थापना : 1563 साल बाद नवरात्रि का अति दुर्लभ संयोग, इस समय पर करें घटनस्थापना एवं पूजन। 



नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 2 अप्रैल शनिवार के दिन सूर्योदय 5:50 बजे से 8:22 बजे तक का समय विशेष शुभ है। जो लोग किसी कारणवश इस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना न कर सकें। उनके लिए दूसरा मुहूर्त कलश स्थापना के लिए सूर्योदय से सुबह 11.28 बजे तक शुभ है।

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नवरात्रि पूजन विधि।

सर्वप्रथम एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। और कलश की स्थापना करें। कलश की स्थापना करने के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आदि की वस्तुएं अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं। यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे,कपूर आदि चीजों की आहूति दें। इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और मां दुर्र्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।

सभी 9 ग्रह अप्रैल में बदलेंगे राशि। 

इस बार अप्रैल ज्योतिष के लिहाज से बहुत खास है, क्योंकि इस महीने में सभी नौ ग्रह राशि बदल रहे हैं। ऐसा सैकड़ों सालों में होता है, तब एक ही महीने में सभी 9 ग्रह राशि बदलते हैं। 14 अप्रैल को सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा। 7 अप्रैल को शुक्र मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। 8 अप्रैल को बुध ग्रह मीन से मेष राशि में और 24 अप्रैल को वृषभ राशि में जाएगा। 13 अप्रैल को गुरु कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेगा। 27 अप्रैल को शुक्र कुंभ राशि से मीन में जाएगा। 28 अप्रैल शनि मकर से निकलकर कुंभ में आ जाएगा। 12 अप्रैल को राहु मेष में और केतु तला राशि में आ जाएगा। चंद्र पर करीब ढाई दिन में राशि बदल लेता है।

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1563 साल बाद अति दुर्लभ संयोग

श्री रूद्र बालाजी धाम के पंडित डा. कान्हा कृष्ण शुक्ल ने बताया कि इस साल नववर्ष की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे। शनि खुद की ही राशि मकर में होगा। नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से ये साल मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों के लिए बहुत शुभ रहेगा। अन्य राशियों के लिए बड़े बदलाव का समय रहेगा। ग्रहों का ऐसा संयोग 1563 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 22 मार्च 459 को ये ग्रह स्थिति बनी थी।

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