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Navratri 2022: नवरात्रि पर मां दुर्गा के इन नौ रूपों को पूजने से मिलता है सुख समृद्धि का वरदान

Myjyotish Expert Updated 29 Sep 2022 01:28 PM IST
Navratri 2022: नवरात्रि पर मां दुर्गा के इन नौ रूपों को पूजने से मिलता है सुख समृद्धि का वरदान
Navratri 2022: नवरात्रि पर मां दुर्गा के इन नौ रूपों को पूजने से मिलता है सुख समृद्धि का वरदान - फोटो : google
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Navratri 2022: नवरात्रि पर मां दुर्गा के इन नौ रूपों को पूजने से मिलता है सुख समृद्धि का वरदान 


नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. यह पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. एक वर्ष में कुल चार नवरात्र होते हैं, लेकिन केवल दो - चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि काफी बड़े रूप से मनाए जाते हैं.

देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग इसी त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. विभिन्न अनुष्ठान करते हैं. नवरात्रि' का अर्थ है 'नौ रातें'. इन नौ रातों में, लोग उपवास रखते हैं और माँ दुर्गा के नौ रूपों की विशेष प्रार्थना करते हैं. देवी दुर्गा देवी पार्वती का अवतार हैं. महिषासुर का नाश करने के लिए देवी ने दुर्गा का अवतार लिया.

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मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ अलग-अलग तरह से की जाती है आइये जते हैं कौन से दिन किस देवी कापूजन करने से खुलेंगे भाग्य के द्वारा 

देवी शैलपुत्री
देवी शैलपुत्री देवी दुर्गा की पहली अभिव्यक्ति हैं. वह एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल रखती है और नंदी नामक बैल की सवारी करती है. देवी पार्वती का जन्म हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था और संस्कृत में शैल का अर्थ पर्वत होता है, इसलिए उन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है.

देवी ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. देवी एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे हाथ में पवित्र कमंडल धारण किए होती हैं. देवी नंगे पैर चलती हैं. देवी ब्रह्मचारिणी का ध्यान सिद्धि प्रदान करता है, यह स्वरूप देवी पार्वती का प्रतीक है जब वह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने गहन ध्यान में लगी हुई थीं.

देवी चंद्रघंटा
नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा का है. देवी उग्र सशस्त्र देवी हैं, जिनके माथे पर अर्धचंद्र है, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा नाम पाप्त होता है. वह सभी बुराई और दुष्टों को नष्ट करने वाली होती हैं. इनका वाहन बाघ है.

देवी कुष्मांडा
नवरात्रि का चौथा दिन देवी कुष्मांडा का है. कुष्मांडा नाम तीन शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का निर्माता. देवी कुष्मांडा को ब्रह्माण के निर्माता कारुप प्राप्त होता है. 

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देवी स्कंदमाता
पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जिन्हें कार्तिकेय अर्थात स्कंद जी की माता के नाम से भी जाना जाता है. स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो अपनी दो भुजाओं में कमल के साथ एक पवित्र कमंडल धारण किए होती हैं और अन्य दो में एक घंटी धारण करती हैं. देवी की गोद में कार्तिकेय भगवान बैठे हुए होते हैं 

देवी कात्यायनी
नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी को समर्पित है, जो शक्ति का एक रूप हैं. इन्हें युद्ध की देवी के रूप में भी जानी जाने वाली, कात्यायनी को देवी पार्वती के सबसे विकराल रूपों में से एक माना जाता है. उसकी चार भुजाएँ हैं और वह तलवार लिए हुए है. वह ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं और सिंह पर सवार हैं.

देवी कालरात्रि
सप्तमी या नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि का है. किंवदंतियों के अनुसार उसने राक्षसों को मारने के लिए अपनी त्वचा के रंग का त्याग किया और एक गहरे रंग को अपनाया था. देवी अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल इत्यादि धारण किए होती हैं. उनके माथे पर तीसरी आंख है जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है.

देवी महागौरी
दुर्गा अष्टमी या नवरात्रि का आठ दिन देवी महागौरी को समर्पित है. वह एक चार भुजाओं वाली देवी हैं जो बैल या सफेद हाथी पर सवार होती है. उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू है. यह देवी का शुभ गौर रुप है जिसके कारण उन्हें गौरी कहा जाता है.

देवी सिद्धिदात्री:
नवरात्रि का नौवां या अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री का है. उन्हें कमल पर बैठे चार भुजाओं वाली देवी के रूप में पेश किया गया है, उनके हाथों में गदा, वेद कमल इत्यादि हैं. देवी दुर्गा का यह रूप पूर्णता का प्रतीक है.

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