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Navratri 2022: मां कात्यायनी का पूजन करने से मिलती है सभी प्रकार की सफलता और रुके काम होते हैं आरंभ .

Myjyotish Expert Updated 05 Oct 2022 11:07 AM IST
Navratri 2022: मां कात्यायनी का पूजन करने से मिलती है सभी प्रकार की सफलता और रुके काम होते हैं आरंभ
Navratri 2022: मां कात्यायनी का पूजन करने से मिलती है सभी प्रकार की सफलता और रुके काम होते हैं आरंभ - फोटो : google
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Navratri 2022: मां कात्यायनी का पूजन करने से मिलती है सभी प्रकार की सफलता और रुके काम होते हैं आरंभ . 


नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करने के बाद, भक्त अगले दिन मां कात्यायनी पूजा करते हैं. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप का प्रतीक हैं.

ऐसा माना जाता है कि महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए मां पार्वती देवी कात्यायनी के रूप में आईं. देवी पार्वती के इस रूप को सबसे अधिक हिंसक कठोर रुप कहा जाता है. देवी कात्यायनी जी को योद्धा देवी के रूप में भी पहचाना जाता है. 

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देवी कात्यायनी स्वरुप 
नव ग्रहों में माना जाता है कि बृहस्पति ग्रह को मां कात्यायनी से संबंधित माना गया है. नवरात्रि के छठे दिन, भक्त देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं और उनकी कहानी सुनते और पढ़ते हैं. माँ कात्यायनी को शेर पर सवार होती हैं और चार, दस या अठारह हाथ के रुप में इन्हें दर्शाया जाता है.वह अभयमुद्रा में नजर आ रही हैं.

नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से लोकप्रिय उत्सवों में से एक माना जाता है जो देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा करने के लिए समर्पित है. इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. 

देवी का पूजन दिलाता है विजय 
नौ दिनों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. 9 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का प्रत्येक दिन एक अलग महत्व रखता है. देवी माँ कात्यायनी को देवी दुर्गा का एक अन्य विशेष  अवतार कहा जाता है और नवरात्रि के दिन इनकी पूजा करने से विजय की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के इन दिनों में देवी धरती पर आती हैं.

अपने भक्तों को निडर होने का आशीर्वाद देती हैं. उन्हें हर तरह से शक्ति प्रदान करती हैं. मां दुर्गा के नौ अलग-अलग अवतारों के नाम शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, मां कात्यायनी, मां कात्यायनी, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं.

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मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
 

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