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Navratri 2022 : भक्त रहषु के बुलावे पर कामाख्या से थावे आईं थीं मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का अहंकार

Myjyotish Expert Updated 04 Oct 2022 10:22 AM IST
Navratri 2022 : भक्त रहषु के बुलावे पर कामख्या से थावे आईं थीं मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का
Navratri 2022 : भक्त रहषु के बुलावे पर कामख्या से थावे आईं थीं मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का - फोटो : google
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Navratri 2022 : भक्त रहषु के बुलावे पर कामख्या से थावे आईं थीं मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का अहंकार


 एक समय की बात है जब भीषण आकाल में भी मां के परम भक्त रहषु के घर था अन्न का भंडार, जब - जब वह घास काटता था तो मां की दया से निकलता था अन्न. घमंडी राजा ने भक्त रहषु को मां को बुलाने का दिया आदेश. जानिए फिर क्या हुआ. अनोखी है मां थावे के स्थापना की कहानी
आज आपको बताते हैं यह कथा...

बिहार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में एक है मां थावे वाली भवानी का थावे मंदिर. माता थावेवाली का मंदिर बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के थावे में स्थित है. मां थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भक्त पुकारते हैं.

देश के 52 शक्तिपीठों में एक मां थावे वाली भवानी का थावे मंदिर तीन ओर जंगलों से घिरा है. थावे भवानी मां के बारे में मान्यता है कि यहां मां अपने परम भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कमाख्या से चलकर आई थीं.

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कहा जाता है कि वह कमाख्या से चलकर कोलकाता में देवी काली के रूप में दक्षिणेश्वर में विराजमान हुईं. फिर पटना में मां पटन देवी और छपरा में आमी देवी होते हुए थावे पहुंची थीं.

नवरात्रि में अनोखी होती है मंदिर की छटा

मां भवानी यहां मां अपने परम भक्त रहषु के बुलावे पर पहुंची थी. मां ने यहां रहषु के मस्तक को फाड़कर साक्षात दर्शन दिए थे. वैसे तो थावे के मंदिर में सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवारात्र के समय मां के मंदिर की छटा और भी निराली हो जाती है.

मां थावे भवानी के बारे में कहा जाता है कि ‘मां ने अपने प्रत्येक भक्त को वह दिया है जो वे पाने के योग्य हैं. मां को हमसे महंगी कोई तैयारी की जरूरत नहीं है.उन्हें कुछ सस्ती और आम चीजें चाहिए.माँ को भक्ति और पवित्रता भाती है.

राजा मनन सिंह था घमंडी

मां थावे भवानी को रहषु भवानी के नाम से क्यों जाना जाता है इसके पीछे एक भक्ति भाव से भरी कहानी है. पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा मनन सिंह हथुआ के राजा थे. वह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे. उन्हें इस बात का घमंड था कि वह मां दूर्गा के सबसे बड़े भक्त हैं. एक बार राजा मनन सिंह के राज्य में अकाल पड़ गया. लोग दाने-दाने को मोहताज होने लगे.

रहषु के बुलावे पर कामख्या से पहुंची मां

वहीं थावे में कमाख्या देवी मां का एक सच्चा भक्त रहषु रहता था. रहषु मां की कृपा से दिन में घास काटता और रात को उसी से अन्न निकल आता था. वह उस अन्न को लोगों में बांट देता था. इस चमत्कार का राजा को विश्वास नहीं हुआ. राजा ने रहषु को ढोंगी बताते हुए मां को बुलाने को कहा. रहषु ने कई बार राजा से प्रार्थना की कि अगर मां यहां आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा.

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रहषु मंदिर में भी भक्त करते हैं दर्शन

घमंडी राजा नहीं माना. रहषु की प्रार्थना पर मां कोलकाता, पटना और आमी होते हुए वहां पहुंचीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दीं. जिसके बाद राजा के सभी भवन गिर गए और राजा को मोक्ष प्राप्त हो गया. मां ने जहां दर्शन दिया था, वहां एक भव्य मंदिर है. उसके कुछ ही दूरी पर रहषु जो मां का सबसे बड़ा भक्त था उसका भी मंदिर है.

मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु भक्त के मंदिर में भी जरूर जाते हैं. तभी उनकी पूजा पूरी मानी जाती है.मां का एक भक्त जो सीने पर स्थापित करता है 21 कलश, 26 सालों से कर रहा है तप, 9 दिन तक बिना जल ग्रहण किए पूजा

मां को भक्ति भाव पसंद है

मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं. थावे मां के दरबार के मुख्य पुजारी सुरेश तिवारी कहते हैं कि मां के आर्शीवाद को पाने के लिए कोई महंगी चीज की आवश्यकता नहीं. मां केवल मनुष्य की भक्ति और श्रद्धा देखती हैं.माता थावेवाली का मंदिर बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के थावे में स्थित है. यह गोपालगंज-सीवान राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोपालगंज जिले से महज 6 किलो मीटर दूरी पर स्थित है.

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