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Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की साधना, जानें पूजा विधि एवं महत्व

Myjyotish Expert Updated 27 Sep 2022 11:51 AM IST
Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की साधना, जानें पूजा विधि एवं महत्व
Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की साधना, जानें पूजा विधि एवं महत्व - फोटो : google
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Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की साधना, जानें पूजा विधि एवं महत्व


आज अश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को शक्ति पूजा का पावन पर्व नवरात्रि प्रारंभ होने जा रहा है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा कैसे करें और क्या है उसका महत्व, आइए आज हम आपको बताते हैं.

नवरात्रि 2022 : मां शैलपुत्री की पूजा विधि, कथा एवं महत्व:
दुर्गा मां के सभी 9 मे से एक है मां शैलपुत्री. शक्ति की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ माने जाने वाले नवरात्रि पर्व की आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरुआत हो रही है. नवरात्रि का पर्व वैसे तो साल में चार बार मनाया जाता है, लेकिन इनमें शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है.

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सनातन परंपरा में नवरात्रि के 09 दिनों में 09 देवियों की विशेष पूजा का विधान है. जिसमें पहले दिन कलश पूजा के साथ मां शैलपुत्री की विशेष रूप से पूजा की जाती है. आइए नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा की विधि, मंत्र, कथा और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.

मां शैलपुत्री की कथा

नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाने वाली मां शैलपुत्री को हिमालाय की पुत्री माना जाता है. मान्यता है इससे पूर्व उनका जन्म राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में हुआ था. जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया और उसमें  सभी देवी-देवताओं को बुलाया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. जब देवी सती को इसके बारे में पता चला तो वो वहां पर बगैर निमंत्रण के ही पहुंच गईं. जहां पर महादेव के प्रति अपमान महसूस होने पर उन्होंने स्वयं को महायज्ञ में जलाकर भस्म कर लिया.

जब यह बात भगवान शिव को पता चली तो उन्होंने यज्ञ को ध्वंश करके सती को कंधे पर लेकर तीनों में विचरण करने लगे. इसके बाद भगवान विष्णु ने भगवान शिव के मोह को दूर करने के लिए सती के शरीर को चक्र से काटकर 51 भागों में विभक्त कर दिया. मान्यता है कि माता सती के टुकड़े जहां-जहां पर गिरे वे सभी शक्तिपीठ कहलाए. इसके बाद देवी सती ने शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में दोबारा जन्म लिया. जिन्हें माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है.

मां शैलपुत्री की पूजा का मंत्र : 

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ का विशेष रूप से जप करना चाहिए. कहते हैं कि किसी भी भगवान के पूजा में मंत्रों का विशेष महत्व होता है उसे भगवान तक हमारी बातें जल्दी पहुंचती है और हमें पूजा का फल प्राप्त होता है

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

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नवरात्रि के पहले दिन स्नान-ध्यान करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग के वस्त्र को बिछाकर मां शैलपुत्री का चित्र रखें और उसके बाद गंगा जल से पवित्र करें. इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा लाल फल, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चंदन आदि अर्पित करके करें. मां शैलपुत्री की पूजा में गाय का घी और उससे बना बना भोग विशेष रूप से लगाएं.

मां शैलपुत्री की पूजा का धार्मिक उपाय

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा में लाल रंग के पुष्प, लाल रंग के फल, लाल वस्त्र, लाल चंदन और तांबे का सिक्का अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि माता शैलपुत्री की पूजा में इन चीजों का प्रयोग करने पर देवी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और मूलाधार चक्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं. इस तरह मां शैलपुत्री की पूजा से साधक को सुख, संपत्ति, सौभाग्य के साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है.

मां शैलपुत्री की पूजा का ज्योतिष उपाय

नवरात्रि के 9 दिन का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व होता है. नवरात्रि के 9 दिन नवग्रहों से जुड़े हुए हैं. ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति की कुंडली में स्थित चंद्र दोष दूर होता है और उसकी शुभता प्राप्त होती है. मान्यता है कि मां शैैलपुत्री की सवारी वृषभ होने के कारण वृषभ राशि के जातकों को इस दिन की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है. जीवन में शुभ संदेश मिलते हैं
 

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