Navratri 2022 : यहां साड़ी और लहंगे में गरबा खेलते दिखेंगे पुरुष, 400 साल पुरानी है परंपरा
देश भर में बड़े धूम धाम से नवरात्री का त्योहार मनाया जा रहा है। आस पास के बाजारों में भी नवरात्री की वजह से रौनक छाई हुई है। आज शारदी नवरात्री का पांचवा दिन है और ये दिन स्कंदमाता को समर्पित है। नवरात्री के अवसर पर हर जगह के लोग अपनी प्रथा के अनुसार पूजा पाठ, डांडिया और गरबा, कीर्तन आदि। कुछ तो ऐसे प्रथा होते है,जो देखने और सुनने में एकदम अलग होते है।
से तो डांडिया और गरबा पुरुष और महिला दोनों ही खेलते है और नवरात्री में डांडिया नृत्य और गरबा करना बहुत फेमस है। छोटे बड़े हर जगहों पर किए जाते है। डांडिया और गरबा नृत्य में महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल होते है , तो दोनों के अपने–अपने पोशाक होते है। लेकिन गुजरात के वडोदरा में स्थित अंबा माता मंदिर में नवरात्री की अलग ही धूम देखने को मिलती है। यहां पुरुष गरबा खेलकर सदियों पुरानी परंपरा को निभाते हैं।
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इस जगह पर पुरुष दुपट्टा पहनकर गरबा खेलते हैं। यहां पर महिलाएं नहीं बल्कि सिर्फ पुरुष ही गरबा खेलते हैं। थोड़ा अलग है यहां की परंपरा जो सुनने में भी कुछ अजीब लग रहा है। अलग बात ये है कि यहां पुरुष साड़ी और लहंगा पहनकर गरबा खेलते हैं। वहीं, कुछ महिलाएं झरोखे में बैठे हुए गाने गा रही होती हैं। यह दृश्य देखने के लिए लोग दूर- दूर से मंदिर पहुंचते हैं।
400 सालों से पुरुष खेलते हैं गरबा
जब बात परंपरा निभाने की आती है तो वो कैसा भी कार्य क्यों न हो हर व्यक्ति उस परंपरा को निभाता ही है। वही हाल गुजरात के वडोदरा में माता अम्बा मंदिर की है।
आपको हैरानी होगी कि यहां पिछले 400 सालों से पुरुष ही गरबा खेल रहे हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब वड़ोदरा में गायकवाड़ से पहले इस्लामी शासकों का शासन था तब स्त्रियों को परदे में रहना पड़ता था। देवी मां की पूजा-अर्चना के लिए पुरुष ही स्त्री का वेश धारण कर के यहां गरबा खेलते थे। गौर हो कि घड़ियाली पोल अंबा माता मंदिर के गरबा में आज सारे पुरुष ही गरबा खेलते हैं।
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ये है वजह
माना जाता है की मुस्लिम शासक के समय में महिलाएं देर रात तक घर से बाहर सुरक्षित नहीं रहती थी। इसी कारण की वजह से पुरुष महिलाओं के भेष बनाकर गरबा में शामिल होने लगे।
महिलाओं को यहां आने पर कोई पाबंदी नहीं है लेकिन वह इस सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गाना गाती हैं। अंबा माता का मंदिर अति प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में जाना जाता है। ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है।
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