Navaratri : आज भी श्रीकृष्ण का इंतजार करती हैं राधा की सखी चंदा, मां चंद्रावली नाम से प्रसिद्ध है मंदिर
नवरात्री का दिन शुरू है। नवरात्री में मां के 9 दिन अलग–अलग स्वरूपों के दर्शन होते है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवी ने अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड तक का सृजन इसी स्वरूप में किया था। आइए इस पावन दिन में वृंदावन के ऐसे मंदिर के बारे में जानते है , जहां श्री कृष्ण के साथ श्री राधा रानी की सखी चंदा की पूजा होती है।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
धा रानी के हजारों सखियां थी उनमें से राधा रानी को कुछ सखियां बहुत प्रिय थी। उन्हीं सखी में मां चंद्रावली है। ये मंदिर मथुरा के महावन क्षेत्र में स्थित यमुना के पार मार्ग पर मां चंद्रावली देवी का मंदिर है। मान्यता है की मां चंद्रावली का 5000 वर्ष पुराना अति प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की कथा की जानकारी द्वापर युग से मिलती है। इस मंदिर को देखने के लिए देश विदेशों से लोग आते रहते हैं।
ऐसी मान्यता है कि कोई भी श्रद्धालु या भक्त इस मंदिर को बनवा नहीं सका, क्योंकि मां उस मंदिर को कभी बनने ही नहीं देती हैं। राधा रानी को सखियों में सबसे प्रिय चंद्रा थी। जो श्री कृष्ण से हमेशा कहती रहती थी की मैं भी तुम्हारे साथ गोकुल चलूंगी। तभी भगवान श्री कृष्ण राधा रानी और उनकी सखियों को अपने पिता नंदराय से मिलाने के लिए लेकर आए थे। कुछ दूरी पर चलते ही गोकुल के समीप चंदा थक गईं और भगवान श्री कृष्ण से रुकने के लिए कहा।
वट वृक्ष के नीचे विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देती हैं मां
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब माता चंद्रावली थक कर वृक्ष के नीचे विश्राम कर रही थी , तो कुछ देर बाद श्री कृष्ण की राह देखने लगी। क्योंकि श्री कृष्ण ने कहा था कि अगर तुम थक गई हो, तो यही विश्राम करो मैं तुम्हें अपने पिता नंद राय से यही भेट करवा दूंगा। वहा के लोग बताते है की आज भी मां चंद्रावली श्री कृष्ण का इंतजार करती है। कृष्ण का राह देखती हैं।
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हां पर मां चंद्रावली का बहुत सुंदर मंदिर है। जिसका निर्माण मंदिर अति प्राचीन समय ही किया गया है। वह मंदिर मां चंद्रावली के नाम से प्रसिद्ध है। साथ ही बताया यह भी जाता है कि मां आज भी भगवान श्री कृष्ण का इंतजार करती हैं और वट वृक्ष के नीचे विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देती हैं।
हर सोमवार को लगता है मेला, दूर-दराज से पहुंचते हैं लोग
इस मंदिर को बहुत मां के भक्तों ने बनवाने की कोशिश की पर बनवा नहीं पाए। बताते है की जब बनाने की चेष्टा करे तो उस काम में कोई ना कोई भी अड़चन आ जाती है और वह मंदिर नहीं बन पाता है। साथ ही इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और नवरात्रों में विशेष और भव्य मेला आयोजित भी किया जाता है।
मां चंद्रावली के मंदिर प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है और उस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि प्रत्येक सोमवार को मां की पूजा अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दरबार से कोई भी व्यक्ति खाली हाथ वापस नहीं जाता है मां सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
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