नवरात्रि में ब्रह्मांड की सर्व देवी शक्तियां पूर्ण जागृत स्वरूपमे पृथ्वीलोकमें विचरण करती है जो विविध नामो से भी पूजी जाती है । अम्बा , गायत्री , सरस्वती , लक्ष्मी , महाकाली , अन्नपूर्णा ...ये सब रूप ही नवदुर्गा के अवतार है । निराकार ब्रह्म शिव की शक्ति महामाया के ही ये सब स्वरूप है । हरेक वंश गोत्र की कुलदेवी ही महामाया स्वरूप है इसलिए देवी के किसी भी स्वरूप की पूजा कुलदेवी के स्वरूपमे ही करनी होती है ।
कलियुग में प्रत्येक दिन की देवियां अलग-अलग अधिष्ठात्री हैं, जिनकी साधना से कामना-पूर्ति अलग-अलग है, जो निम्न प्रकार से की जा सकती है ।
1. माता शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है. इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं ।
प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें ।
2. माता ब्रह्मचारिणी: माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप पार्वतीजी का तप करते हुए हैं. इनकी साधना से सदाचार-संयम तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पर इनकी साधना की जाती है ।
द्वितिया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:', की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें ।
3. माता चन्द्रघंटा: माता दुर्गा का यह तृतीय रूप है. समस्त कष्टों से मुक्ति हेतु इनकी साधना की जाती है ।
तृतीया को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें ।
4. माता कुष्मांडा: यह मां दुर्गा का चतुर्थ रूप है. चतुर्थी इनकी तिथि है. आयु वृद्धि, यश-बल को बढ़ाने के लिए इनकी साधना की जाती है ।
चतुर्थी को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें ।
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5. माता स्कंदमाता: दुर्गा जी के पांचवे रूप की साधना पंचमी को की जाती है. सुख-शांति एवं मोक्ष को देने वाली हैं ।
पांचवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें ।
6. मां कात्यायनी: मां दुर्गा के छठे रूप की साधना षष्ठी तिथि को की जाती है. रोग, शोक, संताप दूर कर अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को भी देती हैं ।
छठे दिन मंत्र- 'ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें ।
7. माता कालरात्रि: सप्तमी को पूजित मां दुर्गा जी का सातवां रूप है. वे दूसरों के द्वारा किए गए प्रयोगों को नष्ट करती हैं ।
सातवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर घृत से हवन करें ।
8. माता महागौरी: मां दुर्गा के आठवें रूप की पूजा अष्टमी को की जाती है. समस्त कष्टों को दूर कर असंभव कार्य सिद्ध करती हैं ।
आठवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:' की 1 माला जप कर घृत या खीर से हवन करें ।
9. माता सिद्धिदात्री: मां दुर्गा के इस रूप की अर्चना नवमी को की जाती है. अगम्य को सुगम बनाना इनका कार्य है ।
नौवें दिन मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:' की 1 माला जप कर जौ, तिल और घृत से हवन करें ।
माता के किसी भी चित्र या कुलदेवी के चित्र या मूर्ति स्थापना कर यथाशक्ति पूजन कर, नियत तिथि को मंत्र जपें करें ।
शक्ति उपासना का व्याख्यान क्या करूँ बस इतना लिख सकती हूं कि हजारो जन्मों के संचित कर्म बंधनो को काटकर कुदरत के नियम से विपरीत भी वो फल दे सकती है । कितना भी बड़ा अपराध हो उनको क्षमा करके वो दया करती है इसलिए माँ का स्वरूप सर्वश्रेष्ठ है । उनकी भक्ति सदैव सुखदायी है l
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