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Home ›   Blogs Hindi ›   Nag Panchami 2022: Takshak Tirtha is associated with the Nagas, where only darshan and worship removes the Kal

Nag Panchami 2022: नागों से जुड़ा है  तक्षक तीर्थ, जहां दर्शन और पूजन मात्र से कुंडली का कालसर्प दोष दूर होता

MyJyotish Expert Updated 27 Jul 2022 02:55 PM IST
नागों से जुड़ा है  तक्षक तीर्थ
नागों से जुड़ा है  तक्षक तीर्थ - फोटो : google
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 नागों से जुड़ा है  तक्षक तीर्थ, जहां दर्शन और पूजन मात्र से कुंडली का कालसर्प दोष दूर होता है l


श्रावण मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली पंचमी यानि नागपंचमी पर सर्प जाति के स्वामी कहलाने वाले तक्षक नाग की पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. नागों के स्वामी तक्षक का पावन तीर्थ कहां है और क्या है इसका पौराणिक महत्व, जानने के लिए पढ़ें ये लेखl श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश के नाग देवता से जुड़े प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजा का विधान है.

नागों से जुड़े प्रमुख पावन तीर्थ में तक्षक तीर्थ का विशेष महत्व है. पाताल लोक में निवास करने वाले आठ प्रमुख नागों में तक्षक को संपूर्ण सर्पजाति का स्वामी माना गया है. जिनकी किसी भी मास के शुक्लपक्ष की पंचमी में पूजा करने से विषबाधा और दोष दूर होती है. मान्यता है कि सावन के महीने में तक्षक तीर्थ पर विधि-विधान से पूजा, रुद्राभिषेक आदि करने से न सिर्फ व्यक्ति विशेष बल्कि उसके वंशज तक सर्प दंश के दोष से मुक्त हो जाते हैं. आइए तक्षक तीर्थ से जुड़ी पौराणिक कथा और बाबा तक्षकेश्वरनाथ की पूजा का धार्मिक महत्व जानते हैं.

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कहां पर स्थित है तक्षक तीर्थ :
नागों से जुड़ा पावन तक्षक तीर्थ तीर्थों के राजा कहलाने वाले प्रयाग में यमुना तट पर स्थित है. प्रयागराज के दरियाबाद मोहल्ले में स्थित इस पावन धाम को लोग बड़ा शिवाला के नाम से भी जानते हैं. जहां पर आप सड़क, रेल और वायु मार्ग से आसानी से पहुंच जाएंगेl

तक्षक तीर्थ से जुड़ी पौराणिक कथा
एक बार अश्विनी कुमारों ने किष्किंधा पर्वत पर बड़े ही कष्ट सहते हुए पारद का रसराज बनाया और वहीं पर गुफा में रखकर चले गए. इसके बाद जब अश्विनी कुमार दोबारा वहां पर रसराज को लेने गए तो उन्होंने पारद पात्र को सूखा पाया. इसके बाद अश्विनी कुमार स्वर्ग पहुंचे और इस घटना की जानकारी उन्होंने देवताओं के राजा इंद्र को दी. तब इंद्र ने उनसे चोर का पता लगाने को कहा, ताकि वे उसे दंड दे सकें. इस पूरे घटनाक्रम का पता जब तक्षक नाग को पता चला तो वह पाताल से प्रयागराज के यमुना तट पर आकर रहने लगा. बहुत ढूढ़ने पर जब तक्षक नाग का पता नहीं चला तो देवगुरु

बृहस्पति ने इसका राज खोलते हुए उन्हें बताया कि तक्षक नाग ने तीर्थों के राजा प्रयागराज में अपना निवास स्थान बना लिया है और वह वहां पर हमेशा भगवान माधव में अपना ध्यान जमाए रहता है, ऐसे में उसका वध करना असंभव है. यह जानने के बाद देवता शांत हो गए. मान्यता है कि तब से लेकर आज तक तक्षक नाग इसी पावन तीर्थ पर निवास करते हैं. मान्यता यह भी है कि भ्गावान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाए जाने के बाद तक्षक नाग ने प्रयागराज के यमुनातट पर स्थित तक्षकेश्वर कुंड में शरण ली थी. तक्षक तीर्थ से जुड़ी कथा का वर्णन श्री प्रयाग महात्म्य शताध्यायी के 92 अध्याय में मिलता हैl

तक्षक तीर्थ का धार्मिक महत्व :
विष्णु पुराण के अनुसार तक्षक तीर्थ को सभी तीर्थों का पुण्य फल देने वाला और सभी प्रकार के विष को दूर करने वाला माना गया है. पद्म पुराण में के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तक्षक तीर्थ पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक और पूजन करने का बहुत  महत्व है. मार्गशीर्ष, अगहन और श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर तक्षक तीर्थ पर पूजा करने वालों की भारी भीड़ जुटती है.

यहां पर आने वाले शिव भक्तों का मानना है कि यमुना तट पर स्थित तक्षक कुंड में स्नान करने और तक्षकेश्वर भगवान की पूजा, जप और दान आदि करने पर व्यक्ति से जुड़े सभी प्रकार के दोष और सर्पदंश आदि जुड़ी बाधाओं से मुक्त होता है. मान्यता है कि इन पावन तिथियों पर विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन, रुद्राभिषेक आदि करने पर शिव साधक को सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती हैl

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