विज्ञापन
विज्ञापन
लग गया है मृत्य पंचक हो जाएं सावधान, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
18 जून 2022 शनिवर से पंचक आरंभ होगया है और 23 जून 2022 को बृहस्पतिवार के दिन पंचक की समाप्ति होगी. शनिवार के दिन पंचक लगने पर इसे मृत्यु पंचक के नाम से पुकारा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र में पंचक के विषय में कई तथ्य मौजूद है जिसके अनुसार चंद्रमा जब विशेष नक्षत्र राशि में प्रवेश करता है तब पंचक का निर्माण होता है. हिंदू आमतौर पर पंचक के बारे में बहुत जागरूक होते हैं और महत्वपूर्ण कार्य करते समय वे पंचक तिथियों की जांच करते हैं. कई महत्वपूर्ण कार्य करने का मुहूर्त निकालते समय पंचक का ध्यानपूर्वक पालन किया जाता है. आमतौर पर किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने के लिए पंचक तिथियों से बचते हैं. अब प्रश्न यह है कि पंचक क्या है और पंचक का क्या महत्व है. पंचक के बारे में वैदिक ज्योतिष क्या कहता है.
पंचक समय काल
शनिवार के दिन 18 जून को 18:43 पर पंचक का आरंभ होगा तथा बृहस्पतिवार 23 जून 2022 को प्रात:काल 06:14 पर पंचक की समाप्ति होगी.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
पंचक से जुड़ी कुछ मान्यताएं
यदि पंचक के दौरान परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो यह अशुभ माना जाता है और कहा जाता है कि 5 और सदस्यों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. यदि कोई आत्मा पंचक के दौरान शरीर छोड़ देती है तो उसे शांति नहीं मिलती. अगर कोई पंचक पर काम शुरू करता है तो उसे वह काम 5 बार करना होता है.पंचक के समय दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना शुभ नहीं होता है. इन तिथियों पर संपत्ति खरीदना या बेचना भी अच्छा नहीं है. पंचक पर फर्नीचर खरीदना भी शुभ नहीं होता है. निर्माण कार्य शुरू करना भी ठीक नहीं है. बच्चों का मुंडन करना भी ठीक नहीं है. पंचक के दौरान गृह प्रवेश यानी नए घर में प्रवेश करना भी मान्यता के अनुसार वर्जित है. यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सदस्यों आदि को किसी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए कुश से बने पांच पुतले भी शरीर के साथ जलाए जाते हैं.एक और मान्यता है जिसमें कहा जाता है कि पंचक के दौरान जो भी कार्य किया जाता है वह भी परेशानियों से गुजरता है.
कब लगता है पंचक
पांच नक्षत्रों की युति पंचक कहलाती है. यह नक्षत्र हर महीने आता है और इसलिए हर महीने पंचक आता है.
पंचक नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं-
धनिष्ठा नक्षत्र
शतभिषा नक्षत्र
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
रेवती नक्षत्र
इन नक्षत्रों के स्वामी कुंभ और मीन हैं और जब भी चंद्रमा इन दोनों राशियों से होकर गुजरता है तो उस समय को पंचक काल कहा जाता है.
समस्या आपकी समाधान हमारा, आज ही बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से
पंचक के बारे में जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
पंचक के समय शुभ कार्यों का त्याग करना ही उचित माना गया है ऎसे में इस समय पर इन कार्यों को न करना ही सही होता है किंतु जहां इसके साथ चिंताएं हैं वहीं कुछ खास बातें भी हैं जैसे कुछ आचार्यों के अनुसार शुभ एवं मृदु नक्षत्र में यात्रा, मनोरंजन, कपड़े और गहने खरीदने से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं और इसमें कोई परेशानी नहीं होती है. पंचक काल में यदि कोई शुभ कार्य करना हो तो शांति पूजा करना अच्छा होता है.
ये भी पढ़ें
- Bada Mangal: ज्येष्ठ माह के चौथा मंगल पर, जानें हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय
- Vastu Remedies: जानें घर में मौजूद किन वस्तुओं के कारण करना पड़ता है अनेक परेशानियों का सामना
- Name Astrology: इन चार अक्षरों के नाम वाले लोगों के पास होता है खूब पैसा
- Shani ki Mahadasha: जानें क्या हैं वह संकेत जो करते है शनि की महादशा की और इशारा
- Sunderkand Path: सुंदरकांड पाठ करने की विधि, नियम लाभ, टोटके ओर आवाहन और आरती
- Magh Purnima 2022 : माघ पूर्णिमा, सुख एवं सौभाग्य प्राप्त करने की पूर्णिमा