Monthly Shivaratri fast : बेहद खास है कार्तिक की मासिक शिवरात्रि, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त समय
कार्तिक मास का मासिक शिवरात्रि व्रत रविवार को मनाया जाएगा. मासिक शिवरात्रि हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. मासिक शिवरात्रि व्रत में रात्रि में भगवान शिव की पूजा की जाती है. मासिक शिवरात्रि उपवास रखने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है.
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ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति व्रत में चार प्रहर (रात की पूजा) की पूजा पूरी करता है, उस पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है और साधक को जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है. इस बार कार्तिक मास की शिवरात्रि बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन बहुत ही शुभ योग संयोग बन रहे हैं. आइए जानते हैं कार्तिक शिवरात्रि का मुहूर्त, योग और पूजन विधि.
मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ 23 अक्टूबर 2022, शाम 06:03 बजे से होगा और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27 बजे पर होगी. कार्तिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त समय 23 अक्टूबर 2022, दोपहर 11:46 बजे - 24 अक्टूबर 2022, 12:37 पूर्वाह्न रहेगा.
कार्तिक मासिक शिवरात्रि 2022 योग
कार्तिक शिवरात्रि व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योगों सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग का योग बन रहा है, जिसमें शिव और पार्वती की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी. कार्तिक माह का पुण्य माह शिवरात्रि पूजन के लिए अत्यंत ही शुभदायी माना जाता है.
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इस दिन बनने वाले सभी शुभ योग व्रत की महत्ता में वृद्धि प्रदान करते हैं. इस दिन अमृत सिद्धि योग 23 अक्टूबर 2022, दोपहर 02.34 बजे - 24 अक्टूबर 2022, सुबह 06.31 बजे तक व्याप्त रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी व्याप्त रहेगा.
कार्तिक शिवरात्रि पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि व्रत विवाह में बाधा, धन की समस्या और गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलाता है. इस व्रत के प्रभाव से योग्य जीवन साथी की तलाश पूरी होती है. कार्तिक में व्रत पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए भगवान विष्णु भी भोलेनाथ से प्रसन्न होंगे.
इस दिन सुबह स्नान से शुद्ध होकर भोलेनाथ के मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें. शिवरात्रि की पूजा चार चरणों में बहुत फलदायी होती है. जो सूर्यास्त के बाद शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त तक जारी रहता है.
इस दौरान प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, घी, शहद से शिव का अभिषेक करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त के सभी कष्ट दूर कर देते हैं.
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