मोहिनी एकादशी मोक्ष प्राप्ति का सुगम उपाय
मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है. यह समय श्री विष्णु पूजन के लिए विशेष होता है. मोहिनी एकादशी पूजन द्वारा मोक्ष प्राप्ति होती है. यह एकादशी हिंदू अनुयायियों द्वारा मनाई जाती है क्योंकि यह किसी व्यक्ति द्वारा किए गए सभी पापों को समाप्त कर देने वाला समय होता है. इसमें भक्तों के पाप कर्म समाप्त होते हैं तथा पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है. धार्मिक पौराणिक कथाओं में, मोहिनी भगवान विष्णु के स्वरुप का नाम है.
भगवान ने मोहिनी रुप का अवतार एकादशी तिथि को लिया था तब से इस दिन को 'मोहिनी एकादशी' के रूप में मनाया जाने लगा. यह एकादशी उत्तरी भारत और आसपास के क्षेत्रों में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है. मोहिनी एकादशी पूजन करने से भक्त को सुखी और समृद्ध जीवन जीने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. .
मोहिनी एकादशी मुहूर्त पूजा
मोहिनी एकादशी बृहस्पतिवार के दिन मनाई जाएगी. बृहस्पतिवार के दिन एकादशी का समय होने से ये अत्यंत शुभ समय हो जाता है. बृहस्पतिवार का दिन श्री विष्णु पूजन के लिए शुभ होता ही है साथ ही एकादशी का समय होने पर यह अत्यंत खास हो जाता है. एकादशी तिथि प्रारम्भ 11 मई 2022 को रात में 19:31 के करीब होगा और एकादशी तिथि की समाप्ति 12 मई को 18:51 पर होगी. व्रत के पारण तिथि के दिन का समय 17:27 तक होगा. इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होगा तथा हर्ष योग में एकादशी तिथि का समय रहेगा.
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मोहिनी एकादशी के दौरान व्रत नियम
इस दिन लोग पूरे दिन बिना अन्न का एक दाना खाए सख्त उपवास रखते हैं. उपवास एक दिन पहले दशमी तिथि से शुरू होता है. इस दिन, भक्त भक्ति भाव के साथ शुभ कार्यों में समर्ण भाव को दर्शाता है. सूर्यास्त से पहले एक बार 'सात्विक' भोजन करना चाहिए और पूर्ण उपवास एकादशी को होता है. द्वादशी के सूर्योदय तक जारी रहता है. ऐसा माना जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत को अगले दिन दूध पीने से तोड़ना चाहिए. मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने वाला सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और तिल और कुश से स्नान करना चाहिए. दशमी की रात को फर्श पर सोना चाहिए. भक्त को दिन भर अपने देवता की पूजा-अर्चना करना चाहिए. श्रीकृष्ण की स्तुति में भजन गाना और मंत्रों का जाप करते हुए पूरी रात्रि जागृत होना शुभ माना जाता है.
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कुछ लोग स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण सख्त उपवास नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं, वे मोहिनी एकादशी पर आंशिक उपवास या व्रत रख सकते हैं. फल, सब्जियां और दूध उत्पादों जैसे 'फलाहार' खाने की अनुमति है. मोहिनी एकादशी के दिन व्रत न रखने वालों के लिए भी चावल और सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है. मोहिनी एकादशी का दिन अन्य सभी एकादशियों की तरह भगवान विष्णु को समर्पित है. भगवान विष्णु की मूर्तियों के साथ विशेष मंडप स्थल तैयार किया जाता हैं. भक्त चंदन, तिल, रंग-बिरंगे फूलों और फलों से भगवान की पूजा करता है. भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी के पत्ते चढ़ाना बहुत शुभ होता है. मोहिनी एकादशी के दिन कुछ क्षेत्रों में भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम की भी पूजा की जाती
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