इस बार की मोहिनी एकादशी है बेहद खास, जानें पूजा विधि और समय
जब समुंद्र मंथन हुआ था तो उसमें कई वस्तुओं की प्राप्ति हुई थी। उन्हीं में से एक अमृत था जीसको पीने के लिए देवता और असुरों के बीच युद्ध हुआ था। तब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों के बीच हो रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार धारण कर देवताओं को अमृत पान कराया था। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जिसे इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2022 में मोहिनी एकादशी 12 मई को मनाई जाएगी। वैसे तो एकादशी तिथि का प्रारंभ 11 मई दिन बुधवार की शाम को 7:31 मिनट से हो रहा है जो कि 12 मई दिन गुरुवार की शाम 6:51 मिनट तक रहेंगी।
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हिंदू धर्म में सूर्योदय के समय जो तिथि होती है वह मान्य होती है और एकादशी तिथि सूर्योदय के समय 12 मई को होंगी इसलिए मोहिनी एकादशी 12 मई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार की मोहिनी एकादशी बहुत ही उत्तम नक्षत्र में मनाई जाएगी। सर्वप्रथम मोहिनी एकादशी गुरुवार के दिन है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है और गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अतिप्रिय है और इसी के साथ इस दिन चन्द्रमा कन्या राशि में प्रवेश करेंगे साथ ही शनि, कुंभ और गुरु मीन राशि में विराजमान रहेंगे और दो बड़े ग्रह स्वराशि में रहेंगे ग्रहों की ऐसी विशेष स्थिति के चलते इस दिन राजयोग के समान योग का निर्माण हो रहा है। जिसके कारण इस वर्ष की मोहिनी एकादशी बहुत ही विशेष मानी जा रही है।
अब बात करते है की इस दिन कैसे पूजा करें। आपको बता दें एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान विष्णु या उनके अवतार की पूजा का विधान माना जाता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मोहिनी एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि है इसलिए इसे मोक्षदायिनी एकादशी भी कहते हैं। जाने अनजाने में कोई पाप हो जाता है तो इस दिन व्रत करने से इस प्रकार के सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को समर्पित है मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह प्रातः काल उठकर स्नान करें और उसके बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। फिर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें। उनको पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु और उनके अनेक रूपों का ध्यान करें एवं उनको समर्पित मंत्रों का जप करें।
इस दिन यदि पूर्ण रूप से जलीय आहार लिया जाता है या फिर फलहार लिया जाता है तो उसके श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं।
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जो भी व्यक्ति एकादशी के दिन व्रत रखता है वह अगले दिन प्रातः एक समय का भोजन या अन्न किसी निर्धन को दान करें। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं वह ध्यान रखें कि इस दिन उन्हें किसी भी कारण से क्रोध नहीं करना है और न ही असत्य बोलना है। जितना हो सके इस दिन अपने मन को ईश्वर की भक्ति में लगाएं। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी और अनेक प्रकार के पापों से छुटकारा मिलेगा साथ ही अंत में मोक्ष की प्राप्ति होगी।
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