मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल दृढ़ होता है। मान्यताओं के अनुसार, माघी अमावस्या के दिन ही मनु का जन्म हुआ था, जिनको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। धार्मिक अध्यात्म में आज जानते हैं मौनी अमावस्या के मुहूर्त, व्रत, दान और महत्व के बारे में।
मौनी अमावस्या 2021 का शुभ मुहूर्त
*माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 10 फरवरी को देर रात 01 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है।
*जो 11 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक है।
ऐसे में उदया तिथि 11 फरवरी को प्राप्त हो रही है इसलिए मौनी अमावस्या 11 फरवरी को होगी। 11 फरवरी को ही मौनी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा।
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मौनी अमावस्या पर गंगा, नर्मदा, क्षिप्रा स्नान एवं दानमौनी अमावस्या का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन संभव हो सके तो गंगा, नर्मदा, क्षिप्रा में स्नान करें। फिर व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहें। इससे आपका आत्मबल मजबूत होगा। गंगा स्नान के बाद पात्र लोगों को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान करें। जरूरतमंद लोगों को सर्दी के वस्त्र, कंबल आदि भी दान करना उत्तम होता है।
पीपल के वृक्ष की करें पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि पीपल के तने में भगवान शिव, जड़ में भगवान विष्णु तथा अग्रभाग में ब्रह्मा जी का वास होता है। ऐसे में पीपल के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव तीनों की ही कृपा प्राप्त होती हैं।
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