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Matsya Dwadashi 2022: कब मनाई जाएगी मत्स्य द्वादशी, जानें पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त

Myjyotish Expert Updated 07 Dec 2022 05:06 PM IST
Matsya Dwadashi 2022: कब मनाई जाएगी मत्स्य द्वादशी, जानें पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
Matsya Dwadashi 2022: कब मनाई जाएगी मत्स्य द्वादशी, जानें पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त - फोटो : google
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Matsya Dwadashi 2022: कब मनाई जाएगी मत्स्य द्वादशी, जानें पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त


भगवान विष्णु का पहला अवतार मत्स्य रूप जो अत्यधिक मनमोहक है। भगवान विष्णु ने अपने इस रूप देवताओं का कल्याण किया था। हम अक्सर पौराणिक कथाओं में सुनते है की भगवानों ने लोग कल्याण के लिए अलग अलग रूप रखा है।

जब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण किया था,तो उसे मस्स्य द्वादशी के रूप में जाना जाता है। आइए इस पावन पर्व के महत्व , पूजा विधि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में जानते है। 

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मत्स्य द्वादशी के व्रत एवं पूजा का फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मत्स्य द्वादशी के दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है , उसके जीवन में आए सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

उस भक्त के जीवन में कभी भी धन की देवी माता लक्ष्मी की कमी नहीं होती है। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित एक मात्र मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर में स्थित है, जिसे ‘नागलापुरम वेद नारायण स्वामी मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।

मत्स्य द्वादशी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी 4 दिसंबर 2022 को प्रात:काल  5 : 34 मिनट से प्रारंभ होकर 5 दिसंबर 2022 को प्रात:काल 5 : 57 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार मत्स्य द्वादशी 4 दिसंबर 2022 को मनाया जाएगा। 

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मत्स्य द्वादशी की पूजा विधि
मत्स्य द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करके उगते सूर्य देव को अर्घ्य देकर मत्स्य द्वादशी का व्रत करने का संकल्प ले। इसके बाद 4 कलश जो पानी से भरा हुआ हो , उसमें पीला फूल डालकर उसके ऊपर पीला आसन बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फिर फ़ोटो रखें। उसके बाद मत्स्य द्वादशी की पूजा पूरे विधि विधान से करें।

भगवान के प्रतिमा के सामने देशी घी का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु के पूजा में एक बात का ध्यान रखें की जब भोग लगाएं तो उसमें तुलसी दल अवश्य डालकर ही भोग लगाएं। मत्स्य द्वादशी के पूजा के अंत में तुलसी या पीले चंदन की माला से ॐ मत्स्य रूपाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।


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