हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि की कितनी मान्यता है इससे तो सभी भली-भांति परिचित हैं। इसी प्रकार हिंदी पंचांग के अनुसार हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है और इसे भी काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग शिव जी और पार्वती जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। इसके नियम भी महाशिवरात्रि से भिन्न नहीं होते। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से शिव-शक्ति की अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कष्टों का निवारण होता है।
आषाढ़ मास की शिवरात्रि तिथि
हिंदी पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाया जाता है। 25 जून, 2021 से आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष आरंभ हो चुका है। इस अनुसार 8 जुलाई, 2021 को चतुर्दशी तिथि पड़ने के कारण ये दिन आषाढ़ मास के मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 8 जुलाई यानी गुरुवार के दिन 3 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी और 9 जुलाई यानी शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
ज़ाहिर सी बात है कि शिवरात्रि है तो महादेव की पूजा रात्रि में ही होगी। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ 41 मिनट के लिए ही है। अगर आप शिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं ती इसी मुहूर्त के बीच ही शिव जी और पार्वती माता की पूजा करें। मुहूर्त 8 जुलाई को रात 12 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा और 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
व्रत के पारण का समय
अगर आप व्रत रखते हैं तो आप रात में विधिवत रूप से पूजा करने के बाद रात में जागरण करें और अगले दिन सुबह स्नान करके दोबारा पूजा करें। इसके पश्चात ब्राह्मण को दान करें और व्रत का पारण करके मासिक शिवरात्रि की पूजा संपन्न करें।
मासिक शिवरात्रि की महत्ता
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार शिवरात्रि के दिन महादेव ने साकार रूप लेकर माता पार्वती से विवाह किया था। या यूं कहे कि इसी दिन शिव और शक्ति का अद्भुत मिलन हुआ था। तब से हर महीने इसी दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा करके मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन महादेव और माता की पूजा करने से इनका विशेष आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
अपने घर से ही पाएँ महाकाल के रुद्राभिषेक का फल, 11 ब्राह्मणों से पूजन कराएँ समाप्त होगा अकाल मृत्यु का डर
पूजा की विधि
जैसा कि हमने पहले भी कहा कि मासिक शिवरात्रि की पूजा महाशिवरात्रि की पूजा से बहुत ज़्यादा भिन्न नहीं होती। इसमें भी हम व्रत रखते हैं और शुभ मुहूर्त पर नियमित रूप से भगवान शिव और मां पार्वती की अर्चना करते हैं। शिव जी को उनकी प्रिय चीज़ें चढ़ाई जाती हैं। गाय के दूध, शहद और गंगाजल से स्नान कराने के बाद उनका भांग, बेलपत्र, चंदन, मदार पुष्प, कमल, आदि से उनका श्रृंगार किया जाता है। दूसरी ओर मां पार्वती को श्रृंगार का सामान जैसे चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, आदि अर्पित किया जाता है। रात में पूजा करके उस दिन जागरण किया जाता है।
शिव चालीसा का पाठ
मासिक शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ करना ना भूलें। शिव चालीसा कुल 40 पंक्तियों के मेल से बना है और ये काफ़ी सरल शब्दों में है। शास्त्रों के अनुसार शिव चालीसा की बहुत ज़्यादा मान्यता है और इसके पाठ से शिव जी को प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर सभी प्रकार का डर खत्म हो जाता है और इसका पाठ करने से मुश्किल काम भी सरलता से हो जाते हैं।
मासिक शिवरात्रि की पूजा का लाभ
शिवरात्रि के व्रत को काफ़ी प्रभावशाली और लाभदायक माना जाता है। कहते हैं इस दिन पूजा करके, व्रत रखके सच्चे मन से जो कुछ भी मांगा जाए वो प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त लोग ये व्रत ख़ासतौर से विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण करने के लिए और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भी करते हैं।
यह भी पढ़े :
जानिए शनि देव का अपनी राशि पर प्रभाव; आषाढ़ मास में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव करें कम
बुरी तरह संकट में फसने पर काम आते हैं लाल किताब के ये अचूक उपाय
साप्ताहिक राशिफल 5 जुलाई से 11 जुलाई: जानिए सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह अच्छा या बुरा