ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव को नवग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इनकी कृपा को जितना लाभदायक माना जाता है इनकी अप्रसन्नता को उतना ही हानिकारक। उदाहरण के तौर पर अगर आपकी राशि में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चलती है तो आपको बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। शनि देव का हमारे जीवन पर अत्यंत प्रभाव होता है।
शनि देव के अच्छे और बुरे प्रभाव
अगर किसी की कुंडली में शनि देव अच्छे स्थान पर हैं तो वो व्यक्ति काफ़ी भाग्यशाली माना जाता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलती है, मान-सम्मान प्राप्त होता है, धन में वृद्धि होती और समाज में एक अच्छा दर्जा मिलता है।
इसके विपरीत अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं है तो उसे हर कार्य में बाधाएं आती हैं। पढ़ाई, सेहत, शिक्षा, संबंध, व्यापार, रोज़गार, दांपत्य जीवन और अन्य किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति को ज़रूरत से कई ज़्यादा प्रयास करना पड़ता है। और कभी कभी इसके पश्चात भी फल नहीं मिलता।
वर्ष 2021 में शनि की दशा
शनि देव अलग-अलग समय पर अलग-अलग राशियों में प्रवेश करते रहते हैं। वो एक राशि में लगभग ढाई वर्ष के आसपास विराजमान रहते हैं। इस साल यानी वर्ष 2021 में शनि देव किसी दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करने वाले। तत्काल में शनि देव श्रवण नक्षत्र में हैं और इस समय वे वक्री हैं।
कहते हैं राशियों में शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या का विशेष प्रभाव माना गया है। जिस व्यक्ति की राशि में ये दी योग चल रहे हों उन्हें हर कार्य सोच समझकर और सावधानी से करना चाहिए। अभी की बात करें तो धनु, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। वहीं दूसरी ओर मिथुन और तुला राशि वाले शनि की ढैय्या से प्रभावित हैं। इन राशियों के लोग अपना विशेष ध्यान रखें और सूर्य देव को प्रसन्न करने की कोशिश करें।
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आषाढ़ मास में शनि देव की पूजा
हिंदी पंचांग के अनुसार 25 जून, 2021 से आषाढ़ मास प्रारंभ हो चुका है। शास्त्रों की माने तो पूजा-पाठ के लिए इस महीने को काफ़ी शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पूजा करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
3 जुलाई, 2021 को आषाढ़ मास का दूसरा शनिवार है और साथ ही इस दिन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से आपकी कुंडली में शनि का दोष कम होगा। इसके अलावा आप हर शनिवार को शनि देव की पूजा करें। इससे शनि देव आप पर प्रसन्न रहेंगे और आपकी कुंडली पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ने देंगे।
शनि देव पूजा की विधि
शनिवार को शनि देव की पूजा करते वक़्त शनि चालीसा का पाठ अवश्य करें। शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं और शनि मंत्रों का जाप करें। इसके उपरांत काले छाते का दान करना भी शुभ माना जाता है।
अब क्योंकि आप अपनी कुण्डली, राशि और अपने जीवन पर शनि देव का प्रभाव और दुष्प्रभाव जान चुके हैं, तो बेहतर होगा कि आप शनि देव को प्रसन्न रखें। ख़ासतौर पर अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति पहले से ही कमज़ोर हो तो और विशेष ध्यान दें।
अगर आपके कुंडली में शनि की अवस्था अच्छी है तो शनि देव को प्रसन्न करना आपके लिए और लाभदायक साबित हो सकता है। शनि देव को कैसे प्रसन्न करना है ये भी आप जान ही चुके हैं।
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