शिवरात्रि व्रत एक बहुत शक्तिशाली और शुभ व्रत है जो सर्वोच्च भगवान शिव को समर्पित है. मासिक शिवरात्रि का व्रत 24 सितंबर 2022 को शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस व्रत की विशेषता का उल्लेख सभी प्रमुख हिंदू पुराणों में मिलता है. स्कंध पुराण विशेष रूप से शिवरात्रि व्रत को करने हेतु सभी विवरण और अन्य जानकारी प्रदान करता है.
स्कंध पुराण में चार मुख्य शिवरात्रिओं का उल्लेख है. नित्य शिवरात्रि पहली है जो प्रतिदिन, यानी हर रात मनाई जाती है. अगले एक को मास शिवरात्रि कहा जाता है और हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अर्थात 14 वें दिन पर मनाया जाता है. मासिक शिवरात्रि देश के प्रमुख हिस्सों में मनाई जाती है और इसे भव्य तरीके से मनाया जाता है. भक्त बढ़ चढ़ कर इस दिन अपने इष्ट भगवान शिव की पूजा करते हैं.
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मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा के लिए खास अवसर होता है. इस दिन भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत और उनकी पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन मां पार्वती की पूजा का भी विधान है. इस व्रत के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है. मासिक शिवरात्रि की व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व क्या है.
शिवरात्रि व्रत पूजा समय
शिवरात्रि पूजा का समय 24 सितंबर, 11:55 बजे से 25 सितंबर, 12:43 पूर्वाह्न तक होगा. शिवरात्रि व्रत के दिन, इस व्रत रखने वाले को सुबह जल्दी उठना चाहिए और भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए. नित्य कर्म करने के पश्चात साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. रुद्राक्ष की माला पहनना और विभूति लगाना अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.
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शिवरात्रि व्रत का पालन करने वाले को लगभग भगवान शिव के मंदिर में जाना चाहिए और जल, दूध, शहद और अन्य शुभ पदार्थों से शिवलिंग का स्नान करना चाहिए.
शिवरात्रि व्रत का खास महत्व है. जो लोग यह व्रत रखना चाहते हैं, वे इसे महाशिवरात्रि से आरंभ कर सकते हैं. साथ ही एक साल तक व्रत के नियम का पालन कर सकते हैं.
धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से हर असंभव कार्य आसान हो जाते हैं. साथ ही शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि जो लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं, उन्हें शिवरात्रि के दौरान जागरण करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. वहीं शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को वैवाहिक जीवन में खुशहाली की कामना से करती हैं.
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