मासिक कालाष्टमी व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 17 सितंबर 2022 को मनाई जाएगी. आश्विन माह की कृष्ण अष्टमी का दिन काफी महत्व रखता है.
इस दिन पितरों के पूजन के साथ साथ लक्ष्मी व्रत, विश्वकर्मा पूजा, कन्या संक्रान्ति, रोहिणी व्रत, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग नामक शुभ पर्व एवं योग होने से यह दिन अत्यंत ही फलदायी माना गया है.
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कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव के अवतार काल भैरव की पूजा की जाती है. काल भैरव उज्जैन में महाकाल के रूप में विराजमान हैं, जबकि काल भैरव शिव नगरी काशी के कोतवाल हैं. आईये जानते हैं मासिक कालाष्टमी व्रत मुहूर्त एवं पूजा का समय क्या होगा.
कालाष्टमी व्रत 2022 तिथि समय
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 शनिवार को दोपहर 14:15 से प्रारंभ हो रही है. यह तिथि अगले दिन रविवार 18 सितंबर 2022 को 16:34 तक रहेगी. काल भैरव तंत्र मंत्र के देवता हैं, इसलिए रात में उनकी पूजा अत्यंत शुभ दायी मानी जाती है. इसी के आधार पर पूजा का काफी महत्वपुर्ण होती है.
कालाष्टमी व्रत 2022 मुहूर्त
कालाष्टमी व्रत के दिन द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग बनेंगे ये योग बहुत शुभ माने जाते हैं. इस समय पर शुभ कार्यों को करना उत्तम होता है. इस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.55 बजे से दोपहर 12.51 बजे तक है. इस मुहूर्त में आप शुभ कार्य भी कर सकते हैं.
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काल भैरव की पूजा का महत्व
कालाष्टमी व्रत के दिन भैरव को प्रसन्न करने हेतु विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करते हैं. इस दिन पूजा के समय भैरव स्तोत्र, भैरव चालीसा आदि का पाठ करना शुभ होता है. भैरव पूजा द्वारा भगवान प्रसन्न होंगे. जिस पर वह प्रसन्न होता है, उसके दुख, रोग, दोष, कष्ट आदि सब दूर हो जाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि भगवान काल भैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार हैं. कालाष्टमी पर पूजन उपासना एवं उपवास करने से जीवन में नकारात्मक तत्वों की समाप्ति होती है. क्रोध, लालच, और अन्य सभी व्यसनों से मुक्ति प्राप्ति होती है.
सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचने के लिए भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं. भगवान काल भैरव अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और आध्यात्मिकता का शुभाशिष प्रदान करते हैं. काल भैरव को क्षत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है.
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