खास बातें
Mangal In 12 Houses: मंगल का प्रभाव जातक की कुंडली में सकारात्मक और नकारात्मक हो सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी कुंडली के कौन से भाव में मंगल ग्रह विराजमान है। तो आइए जानते हैं कुंडली के विभिन्न भावों में मंगल का प्रभाव।प्रथम भाव में मंगल
जिन जातकों की कुंडली के प्रथम भाव में मंगल ग्रह विराजमान होता है, वह जातक शूरवीर, साहसी, सत्यप्रिय और उच्च विचारों वाला होते हैं। यह व्यक्ति ऐसे होते हैं कि यदि कोई इनके साथ बुरा भी कर दे, तो वह उसके साथ भी भलाई करते हैं। इन जातकों को पापी ग्रह शनि, राहु और केतु की वस्तुओं के उपयोग से मंगल का नीच प्रभाव दिखता है।
द्वितीय भाव में मंगल
इस भाव में विराजमान मंगल ग्रह जातक को को मान-प्रतिष्ठा दिलाता है। कुंडली का दूसरा घर बृहस्पति का पक्का घर होता है। यह जातक अपने पास आये शरणागतों की रक्षा करते हैं और उनका पौषण करते हैं। इन जातकों के घर में कभी भी खाने पीने की कमी नहीं होती है, इसके विपरीत सदैव ही धन-संपदा चलती रहती है। इन जातकों को ससुराल पक्ष से आर्थिक रूप से संपूर्ण सहायता मिलती है और यह दिल के अच्छे होते हैं। हालांकि मंगल के खराब होने पर जातक को परेशान होना पड़ता है।
तृतीय भाव में मंगल
कुंडली का तीसरा भाव मंगल का पक्का घर होता है। इस भाव में मंगल होने से जातक के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। इसके साथ ही यदि कुंडली के तीसरे भाव में मंगल है और बृहस्पति, सूर्य, चंद्र अथवा बुध 9, 11 में हों, तो जातक को शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। वहीं दूसरी तरफ 9 या 11 में शनि कोई बुरा प्रभाव नहीं डाल पाता है।
चतुर्थ भाव में मंगल
चौथे भाव में मंगल बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे जाकतों के जीवन में सदा परेशानी उत्पन्न होती है और उसे हर प्रकार से नुकसान ही नुकसान होते रहता है। वहीं अगर चौथे भाव में मंगल के साथ 3, 4, 8 में इसके शत्रुओं का वास हो, तो परेशानियां को और बढ़ा देते हैं। लेकिन वहीं बृहस्पति ग्रह 4, 8, 9 में स्थित हो जाए तो मंगल को कुप्रभाव खत्म हो जाता है।
पंचम भाव में मंगल
यदि पंचम भाव का मंगल शांत और सकारात्मक हो तो जातक पराविद्याओं विद्वान बन सकता है। इस भाव में मंगल की उपस्थिति से जात जादू-टोना और मंत्र विद्या में कुशलता प्राप्त कर सकता है और अच्छा नाम कमा सकता है। लेकिन यदि मंगल अच्छा प्रभाव दे रहा है, तो वह 5 गुना नकारात्मक प्रभाव भी दे सकता है। यदि मंगल कमजोर हो तो जातक को बर्बादी का सामना करना पड़ सकता है। धनी व्यक्ति भी अपना सब कुछ खो सकता है और धन-संपत्ति के सारे स्रोत खत्म हो सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद फिर भी, जातक हर प्रकार से एक धनी पुत्र का पिता बन सकता है।
षष्ठम भाव में मंगल
षष्ठम भाव में मंगल पर शनि का विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस भाव में केतु-शुक्र का प्रभाव कमजोर होता है और भाई-बहनों को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि मंगल मजबूत हो तो सब कुछ ठीक होता है, लेकिन कमजोर होने पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है।इसकी वजह से पुत्र की कमी हो सकती है।
सप्तम भाव में मंगल
सप्तम भाव में मंगल जातक को प्रभावशाली बनाता है और उसे काफी तरक्की दिलाता है। लेकिन वहीं यदि बुध मंगल के साथ हो तो बुआ-बहन को अच्छा फल नहीं मिलता है।
बुध की वजह से मंगल का प्रभाव कमजोर हो जाता है। इन जातकों के लिए स्त्री, रिश्तेदारों, बहन, बुआ के साथ रहना अच्छा नहीं होता है। इसके साथ ही इन जातकों को बकरी भी नहीं पालनी चाहिए।
अष्टम भाव में मंगल
अष्टम भाव मंगल का अपना घर होता है, लेकिन यह जातक के लिए मौत का खतरा बन सकता है। यह जातक भाई-बहनों के साथ लड़ाई-झगड़े का माहौल बना सकता है। इसके लिए इन जातकों को गले में चांदी की जंजीर पहनना शुभ होता है। साथ ही हाथी का दांत रखना और धारण करना भी लाभकारी होगा।
नवम भाव में मंगल
जिन जातकों की कुंडली के नवम भाव में मंगल है उनके जीवन हर प्रकार से हरा-भरा और मंगलमय होता है। जातक 13-14 वर्ष की आयु में ही पिता को लाभ पहुंचाता है।
यदि 5वें भाव में मंदे ग्रह हों तो विपरीत फल होता है, वरना 28 वर्ष की उम्र में अच्छी प्रसिद्धि हासिल करने में सफल हो जाता है। सूर्य ग्रह का इन जातकों को उच्च फल देता है और जातक के घन कमाने के कई अवसर प्राप्त होते हैं।
दशम भाव में मंगल
यदि किसी जातक की कुंडली के दसवे भाव में मंगल ग्रह विराजमान है, तो उस जातक सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है। 28 से 64 वर्ष की आयु तक धन आता रहता है और उत्साह बना रहता है। शनि की कृप इन जातकों पर पड़ जाए तो वह व्यक्ति अधिक संपत्ति वाला बन जाता है और यहां मंगल विशेष फलदायी होता है। यह जातक राजा के समान हो जाता है, जब इस पर किसी की दृष्टि ना पड़ रही हो। वहीं यदि किसी कारणवश इसमें शुक्र निर्बल हो जाए तो 45 वर्ष की आयु तक संतान पर भारी रहता है। यदि कुंडली के दूसरे भाव में राहु, केतु, शनि और शुक्र हों तो बुरा असर पड़ता है।
एकादश भाव में मंगल
जिन जातकों की कुंडली के एकादश भाव में मंगल होता है, वह जातक कुशल व्यापारी, साहसी और न्यायप्रिय होता है। यदि बुध और शनि साथ हों तो अधिक लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ ही बुध अच्छा रहा तो जातक को 28 से 42 साल तक अच्छा धन प्राप्त होते रहेगा। लेकिन वहीं मंगल के कारण जातक अक्सर बीमार रहने लगता है और उसके बच्चे झगड़ालू किस्म के होते हैं।
द्वादश भाव में मंगल
यदि किसी जातक की कुंडली के द्वादश भाव में मंगल है, तो जातक को काफी कष्ट हो सकता है। इन जातकों की आवाज काफी बुलंद होती है। क्योंकि यह राहु का पक्का घर है इसलिए यह कष्टकारी हो सकता है। लेकिन वहीं यदि संयोग से बृहस्पति दूसरे भाव में हो तो बहुत अच्छा होता है। इन जातकों से शत्रु हमेशा डरे रहते हैं और कोई भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है।
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