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Moon in 12 Houses: दूसरे, चौथे, नौवें भाव में चन्द्रमा देता है शुभ फल, जानें अन्य भावों में क्या होता है असर

Nisha Thapaनिशा थापा Updated 01 Jun 2024 02:10 PM IST
कुंडली के 12 भावों में चन्द्रमा का प्रभाव
कुंडली के 12 भावों में चन्द्रमा का प्रभाव - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Moon in 12 Houses: कुंडली के 12 भावों में चन्द्रमा की स्थिति बहुत कुछ बताती है। किसी भाव में शुभ फल देती है, तो किसी भाव में जातक को अशुभ फल मिलता है। तो आइए जानते हैं कुंडली के 12 भावों में चन्द्रमा की स्थिति क्या दर्शाती है। 
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Moon in 12 Houses: चन्द्रमा माता का कारक होता है, इसी प्रकार से कुंडली में चन्द्र ग्रह की उपस्थिति, आपकी माता के लिए शुभ और अशुभ मानी जाती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि कुंडली के कौन से भाव में चन्द्र ग्रह विराजमान है। इसके साथ ही चन्द्र ग्रह के कारण जातक के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान रहते हैं और इसलिए वह चंद्र के देव है। चंद्रमा का पक्का घर कुंडली का चौथा भाव होता है। लाल किताब के अनुसार कुंडली के पहले, दूसरे, तीसरे, पांचवें, सातवें और नौवें भाव चंद्रमा के श्रेष्ठ भाव होते हैं। चन्द्रमा का संबंध माता के अलावा भी शिक्षा सोना,चांदी, ख़ज़ाना और समुद्री व्यापार से होता है। चंद्रमा के शत्रु, राहु तथा केतु हैं और परम मित्र सूर्य और बुध ग्रह हैं। यदि चंद्रमा वृषभ राशि पर विराजमान है तो वह शुभ फल देगा और वहीं मंगल राशि पर विराजमान होने से नीच फल देता है। तो आइए जानते हैं लाल किताब के अनुसार कुंडली के अन्य भावों में चन्द्रमा की स्थिति क्या फल देती है।


पहले भाव में चन्द्र ग्रह  


यदि कुंडली के प्रथम भाव में चन्द्रमा विराजमान है, तो जातक के लिए मंगलकारी साबित होता है। लेकिन इस भाव में विराजमान चंद्रमा वाले जातकों को शीशे के गिलास में दूध या पानी के सेवन से बचना चाहिए। अपने पास एक लाल रंग रूमाल जरूर रखें, क्योंकि लाल रंग मंगल की निशानी होती है। यदि 28 वर्ष से पूर्व इनकी शादी हो जाती है, तो उसे संतान सुख प्राप्त होने में दिक्कतें आती है। इनके माता के जीवन में भी कठिनाइयां आ सकती हैं।
 

दूसरे भाव में चन्द्र ग्रह  


कुंडली के दूसरे भाव में यदि चंद्रमा विराजमान है, तो आपके उच्च फल प्राप्त होंगे। यह चंद्रमा का पक्का घर माना जाता है, जिसकी वजह से आपके भाग्य उदय के द्वार खुलते हैं। दूसरे भाव में चंद्रमा विराजमान होने से जातकों की बहनें नहीं होती है। इसके साथी ही यदि दूसरे भाव में चंद्रमा और चौथे भाव में शनि विराजमान है, तो जातक को पैतृक सुख प्राप्त होगा, लेकिन इनका बुढ़ापा थोड़ा कष्ट दायक हो सकता है।
 

तीसरे भाव में चन्द्र ग्रह  


तीसरे भाव में चंद्रमा शुभकारी माना जाता है। यह मंगल का पक्का घर है और जातक के भाग्य उदय में सहायक होता है। तीसरे भाव में चंद्रमा होने से जातक की वाणी मधुर होती है औप वह सदाचारी होता है। इसके साथ ही उसे विपत्ति के समय दैवी सहायता भी प्राप्त होती है। यदि आपका मंगल खराब है तो आपको कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
 

चौथे भाव में चन्द्र ग्रह  


कुंडली के चौथे भाव में भी चंद्रमा शुभ फल देता है। कुंडली का चौथा भाग चंद्रमा का अपना भाव होता है, इसलिए हर प्रकार से जातक के लिए कल्याणकारी होता है। इस भाव में विराजमान चंद्रमा जातक को माता का परम सुख देता है,  साथ ही जमीन, जायजाद व धन में भी वृद्धि होती है। इन जातकों की बाल्यावस्था से लेकर वृद्ध व्यवस्था तक जीवन सुखमयी बीतता है।
 

पांचवे भाव में चन्द्र ग्रह  


कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा की उपस्थिति जातक को पूर्ण सुख प्रदान करती है। यह व्यक्ति मोती और चावल का व्यापार करता है। यदि चंद्रमा कुंडली के एक नंबर पर हो और शत्रु ग्रह 9वें और 11वें भाव पर हो, तो जातक को इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। वहीं दूसरी तरफ यह भी तीसरे खाने में आ जाए, तो इसका विपरीत प्रभाव होने नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
 

छठें भाव में चन्द्र ग्रह  


यदि चंद्रमा कुंडली के छठे भाव में विराजमान हो, तो जातक को माता-पिता का सुख प्राप्त नहीं होता है। यह जातक अवैध संबंधों में उलझ जाते हैं।  यदि छठे भाव में चंद्रमा विराजमान है और जातक को चंद्र और केतु का नीचे प्रभाव मिल रहा है तो उनके घर अधिक कन्याएं जन्म लेती हैं। इनका बचपन 6 वर्ष की उम्र तक थोड़ा कष्ट दायक होता है हालांकि उसके बाद का शेष जीवन सफल बीतता है।
 

सातवें भाव में चन्द्र ग्रह  


सातवें भाव में यदि चंद्रमा विराजमान है, तो जातकों को विशेष सुख और सौभाग्य प्रदान करता है। जातक एक अच्छा शिक्षक, व्यापारी, वकील या कुशल नेता बनता है। इन जातकों की माता से लड़ाई होना उनके लिए तबाही का कारण बन सकता है। उनके घर में धन कमी नहीं होती है। सप्तम भाव में चंद्रमा विराजमान है, तो जातक ज्योतिष का जानकारी होता है, इसके साथ ही यदि पाप ग्रहों के कुयोग से चंद्रग्र बिगड़ जाता है और कई रोगों का कारण बन सकता है। यदि शनि और चंद्रमा एक साथ-साथ भाव में विराजमान है, तो जातक को नकारात्मक प्रभाव दे सकते हैं।
 

आठवें भाव में चन्द्र ग्रह  


आठवीं भाव में चंद्रमा की स्थिति शुभ नहीं मानी जाती है, इससे जातक को नीच प्रभाव मिलते रहते हैं। जातक आलसी तथा निकम्मा होता है। वह दूसरों की खुशी भी नहीं देख पाता। गलत तरीके से धन कमाता है और वह रोगी रहता है।
 

नौवें भाव में चन्द्रमा


नौवें भाव में चंद्रमा बहुत शुभ परिणाम देता है। चंद्रमा इस भाव में विराजमान होने से जातक परोपकारी, धार्मिक और साधन से संपन्न बनता है। इनके पास पैतृक संपत्ति होती है और आर्थिक दृष्टि से उन्हें कभी भी नुकसान नहीं होता है। यह व्यक्ति यात्रा के बहुत ही शौकीन होते हैं और संगीत भी इन्हें काफी पसंद होता है। इन जातकों को 24 में वर्ष के बाद से चंद्र का श्रेष्ठ प्रभाव मिलता है और उनका जीवन उत्तम बीतता है।
 

दसवें भाव में चन्द्रमा


यदि जातक की कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा विराजमान है, तो वह अशुभ फल प्रदान करता है। क्योंकि दसवां भाव शनि का होता है वह जातक हर तरह से परेशान रहता है और अक्सर माता से अनबन होती रहती है। इस जातक  की संगति बुरे लोगों से होती है और वह धोखेबाज और कम दिमाग वाला बन सकता है। इन जातकों के पास 42 वर्ष तक आते-आते अच्छी संपत्ति आती है और उनकी दीर्घायु होती है।

ग्यारहवें भाव में चन्द्रमा


कुंडली के  एकादश भाव में भी चंद्रमा अनुकूल प्रभाव नहीं देता है। यदि किसी जातक की कुंडली के एकादश भाव में चंद्रमा है, तो वह अपने दादा-दादी को कष्ट पहुंचा सकता है। राहु की कुदृष्टि के कारण इनको संतान उत्पत्ति में बाधाएं आ सकती हैं, क्योंकि राहु को चंद्र ग्रह का शत्रु माना जाता है और चंद्र के प्रभाव को नष्ट कर देता है। इन जातकों का दादा-दादी के साथ मेल बहुत ही कम होता है और भाई बंधुओं को कष्ट देता है। हालांकि इन जातकों को महिलाओं से अधिक सहायता मिलती है।
 

बारहवें भाव में चन्द्रमा


कुंडली के द्वादश भाव में चंद्रमा की स्थिति जातक को रहस्यमयी और अपने भेद न उजागर करने वाला बना देती है। यह जातक कम पढ़ा लिखा होने के बाद भी अपने व्यवहार और कुशलसे काफी कुछ प्राप्त कर लेता है। यह धार्मिक होता है फिर भी अपने धन से परेशान रहता है। यह जातक अपने पूर्वजों की प्रशंसा करता है और दूसरों के भेद हमेशा छुपा कर रखाता है।

तो, इस प्रकार से लाल किताब के अनुसार कुंडली के 12 भावों में चन्द्रमा का भिन्न प्रभाव होता है। यदि आपके पास इस विषय से संबंधित अन्य सवाल हैं, तो आप हमारे ज्योतिषी से परामर्श ले सकते हैं।
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