कब पड़ेगी आश्विन मास की अमावस्या , जानें इसका धार्मिक महत्व और उपाय
पितरों के श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान के लिए अत्यंत ही फलदायी माना जाता है। इस साल पितृपक्ष कुल 16 दिनों का पड़ा है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की मुक्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पुण्य तिथि पर श्राद्ध करने की परंपरा चली आ रही है। कहते है की पितृ पक्ष में पितरों की पूजा करने से न सिर्फ पितरों उनका आशीर्वाद मिलता है बल्कि कुंडली से जुड़ा पितृ दोष भी दूर हो जाता है।
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पितृ पक्ष में पितरों के लिए विधि–विधान से श्राद्ध करने की जो परंपरा है , वो लंबे समय से चली आ रही है। यदि आप पितृपक्ष के 16 दिनों में किसी कारणवश पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं कर पाते हैं, तो आप पितृ पक्ष के अंंतिम दिन यानि आश्विन मास की अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्रााद्ध कर सकते हैं।
आश्विन मास की अमावस्या को महालय या सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं, जो कि इस साल 25 सितंबर 2022 को पड़ रहा है। आइए इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जानते हैं।
आश्विन अमावस्या का धार्मिक महत्व
भूल –चूक पितरों का आश्विन मास की अमावस्या को पूरा किया जाता है। इस दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए विशेष रूप से श्राद्ध किया जाता है। यही कारण इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। आश्विन मास की अमावस्या के दिन ही पितृ विसर्जन होता है।
इस दिन पितरों को तरह – तरह के पकवान बनाकर दिए जाते है। फिर उनसे कुल की तरक्की के लिए प्रार्थना करते है। अमावस्या तिथि न सिर्फ पितरों की मुक्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए होता है बल्कि तमाम तरह की तंत्र-मंत्र की साधना के लिए भी अत्यंत ही फलदायी माना गया है। अमावस्या के दिन किए गए ज्योतिष उपाय का शीघ्र ही फल मिलता है।
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आश्विन अमावस्या के उपाय
आश्विन अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करना चाहिए अगर आप गंगा में स्नान नहीं कर पा रहे है तो घर के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर ले। या फिर सरोवर में स्नान देकर सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पितरों के लिए तर्पण करें।
आश्विन अमावस्या के दिन शाम के समय में स्वच्छ कपड़े पहन कर पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
आश्विन मास की अमावस्या के दिन भूले-बिसरे पितरों के लिए विशेष रूप से श्राद्ध करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
आश्विन मास की अमावस्या के दिन अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उस दिन भोजन बनाकर सबसे पहले गाय, कौए, और कुत्ते के लिए विशेष रूप से भोग निकालें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते है।
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