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Mahalakshmi Vrat 2022: कल से शुरु हो रहा है महालक्ष्मी व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Myjyotish Expert Updated 02 Sep 2022 04:51 PM IST
कल से शुरु हो रहा है महालक्ष्मी व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
कल से शुरु हो रहा है महालक्ष्मी व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि - फोटो : My jotishi expert

 कल से शुरु हो रहा है महालक्ष्मी व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि


महालक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है. यह त्योहार धन और भाग्य की देवी देवी लक्ष्मी को समर्पित है. महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिनों की अवधि के लिए मनाया जाता है, जो भाद्रपद के हिंदू पंचांग महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन से शुरू होता है और कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर समाप्त होता है. महालक्ष्मी व्रत 03 सितंबर, शनिवार से शुरू होकर 17 सितंबर, शनिवार को समाप्त होगा. महालक्ष्मी व्रत धन और भाग्य में वृद्धि को दर्शाने वाला होता है.

महा लक्ष्मी व्रत का शुभारंभ गणेश चतुर्थी त्योहार के चार दिन बाद शुरू होता है और पितृ पक्ष के आठवें दिन तक जारी रहता है. महालक्ष्मी व्रत में हिंदू भक्त देवी लक्ष्मी के लिए उपवास रखते हैं और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह व्रत भारत के उत्तरी क्षेत्रों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में पूरे उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है.

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महालक्ष्मी व्रत का महत्वपूर्ण समय
अष्टमी तिथि 03 सितंबर, 2022 दोपहर 12:28 बजे शुरू होगी
अष्टमी तिथि समाप्त सितंबर 04, 2022 10:40 पूर्वाह्न पर होगी.
महालक्ष्मी व्रत 2022 सितम्बर 17 शनिवार समाप्त होगा 

महालक्ष्मी व्रत पूजन 
महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन,आरंभ होता है और इस दिन भक्त सूर्योदय के समय उठते हैं और जल्दी स्नान करते हैं. लगातार 16 दिनों तक हर सुबह देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. इस दौरान महालक्ष्मी के सभी आठ रूपों की पूजा की जाती है. कुछ क्षेत्रों में, भक्त इस अवधि के दौरान सूर्य भगवान की पूजा भी करते हैं. भक्त प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करते हैं. इस व्रत में सोलह गांठों को बांधा जाता है और महालक्ष्मी व्रत के पालन करने वाले इसे अपने बाएं हाथ में धारण करते हैं.

भक्त पूरे समर्पण के साथ देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करते हैं और देवी से उनके पूरे परिवार पर सुख और समृद्धि की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करते हैं. पूजा के बाद सोलह दूर्वा घास को एक साथ बांधा जाता है. इसे पानी में डुबोकर शरीर पर छिड़का जाता है. पूजा के अंत में हर दिन महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ किया जाता है. महालक्ष्मी व्रत का पालन करने वाले पूरे 16 दिनों तक पूरी तपस्या के साथ इसका पालन करते हैं. इस दौरान मांसाहारी अथवा तामसिक भोजन करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है. महालक्ष्मी व्रत के दौरान लक्ष्मी सहस्रनाम और लक्ष्मी अष्टोत्तरा जैसी धार्मिक पुस्तकों का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है.


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महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत एक महत्वपूर्ण उपवास होता है. इस दिन व्रत करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है. कर्ज इत्यादि से मुक्ति प्राप्त होती है. इस पवित्र व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव भाइयों में सबसे बड़े राजा युधिष्ठिर को बताई थी. महालक्ष्मी व्रत की महानता 'भविष्य पुराण' जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है.

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