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जानिए कुंभ मेला के अलग - अलग रूप और उसका महत्व

Myjyotish Expert Updated 27 Mar 2021 09:30 AM IST
Mahakumbh
Mahakumbh - फोटो : Myjyotish
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कुंभ मेला त्योहार को लेकर लोगों के अंदर बहुत ही श्रद्धा जुड़ी होती है और इस पर्व को सबसे पवित्र भी माना जाता है। दुनिया भर से बड़ी संख्या में भक्तअपनी मन की शांति और शुद्धि के लिए आते हैं और भगवान से मनोकामना पूरी करने की भी इच्छा रखते हैं।इस साल यह 14 जनवरी से आरम्भ हुआ है और अप्रैल 2021 तक जारी रहेगा। बता दें कि कुंभ मेला का आयोजन हर 12 साल में चार अलग-अलग जगहों पर किया जाता है जिसमे हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक शामिल है l पर क्या आपने कभी सोचा है कुंभ त्योहार भी कई प्रकार के होते हैं ? तो आइए जानते हैं इसके वह कितने प्रकार के होते हैं और क्या क्या है।
 
महाकुंभ मेला
हिन्दुओं के जीवन काल में यह केवल एक बार आयोजित किया जाता है क्योंकि 12 पूर्ण कुम्भ मेले के बाद यह प्रत्येक 144 वर्षों में आता है। यह मेला केवल प्रयागराज में भी आयोजित किया जाता है।  बता दें कि आखिरी बार इसका आयोजन 2013 में हुआ था।  माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपने और अपने पूर्वजों के सभी बुराइयों और पापों से मुक्त कर देता है।
 
पूर्ण कुम्भ मेला
यह हर 12 साल बाद इलाहाबाद में आयोजित किया जाता है।  यहाँ देश विदेश से कई संख्या में लोग डुबकी लगाने आते हैं।

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अर्ध कुम्भ मेला
यह केवल हरिद्वार और इलाहाबाद में आयोजित किया जाता है।  साथ ही यह हर 6 साल बाद मनाया जाता है।
 
कुम्भ मेला
इसका आयोजन 4 अलग अलग स्थानों पर होता है जिसमे उज्जैन, नासिक, प्रयागराज और हरिद्वार शामिल है। इसका तय सूर्य और बृहस्पति करती है कि यह कहां मनाया जाएगा।  लोग इसे बड़े ही श्रद्धा पूर्वक मनाते हैं।
 
माघ कुम्भ मेला
यह हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वह माघ मेले की उत्पत्ति को ब्रह्माण्ड की रचना से जोड़ते है। हर साल यह त्रिवेणी संगम पर आयोहित किया जाता है।

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