माघ पूर्णिमा के दिन करें यह उपाय, मिलेगा धन का लाभ
माघ पूर्णिमा पर दान और स्नान का विशेष महत्व है. इस बार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाई जाएगी. माघ पूर्णिमा के दिन कुछ उपायों को करना कई तरह से सकारात्मक असर दिखाने वाला होता है. इस समय पर भगवान का पूजन करना उत्तम होता है धन वृद्धि और सुख शांति के लिए उपाय उत्तम होता है.
माघ मास की पूर्णिमा तिथि का न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है.
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मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग से सभी देवी-देवता धरती पर आते हैं और गंगा में स्नान करते हैं. इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. साथ ही इस दिन कुछ जरूरी काम करके भी मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जा सकती है.
माघ पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा प्रारंभ: 4 फरवरी 2023 शनिवार को रात 9 बजकर 28 मिनट पर होगी, माघ पूर्णिमा समाप्ति: रविवार 5 फरवरी 2023 को रात्रि 11 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. माघ पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि, अश्लेषा नक्षत्र और पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:06 बजे से शुरू हो रहा है, जो दोपहर 12:13 बजे तक रहेगा. इस दिन पूजन एवं उपायों द्वारा कार्यों की सिद्धि बनी रहेगी.
माघ पूर्णिमा पर करें यह ज्योतिषीय उपाय
माघ पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास माना जाता है. इसलिए पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से पितर भी प्रसन्न होते हैं तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का दूध और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. इसके साथ ही श्री सूक्तम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से आपको मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है.
माघ पूर्णिमा के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है. इसलिए इस दिन गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को तिल, कंबल, घी, फल आदि चीजें दान करनी चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति किसी पवित्र नदी में स्नान करता है. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वहीं, शास्त्रों के अनुसार इस दिन घर में भगवान सत्यनारायण की कथा कहने का विधान है.
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