Maa Mundeshwari Temple : मां मुंडेश्वरी का ऐसा चमत्कारी धाम , जहां बगैर रक्त बहाए दी जाती है ‘बलि’
नवरात्र के दिन में जगह–जगह माता के मंदिर में बलि दी जाती है। लेकिन बलि भी दो रूपों होते है। एक वो जो बलि दी जाती है एक बलि को मानक मानकर दी जाती है। जैसे बिहार के कैमूर की पहाड़ियों पर मां मुंडेश्वरी धाम है। यहां बिना रक्त बहाए ही बकरे की बलि दी जाती है। मां मुंडेश्वरी के ये मंदिर कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर लगभग 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है।
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
मां दूर्गा का यह मंदिर भक्तों के सभी मुरादों को पूरा करता है। जो भी भक्त माता के दर्शन करते हैं उनकी हर मनोकामनां पूरी होती है। ऐसी मान्यता हैं कि ये मंदिर इतिहास को समेटे हुए है। मां मुंडेश्वरी का मंदिर बहुत चमत्कारिक मंदिर है। ये मंदिर माता के शक्ति पीठों में आता है। इस मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं आता है। उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
यहां प्राप्त शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 389 ईस्वी के आसपास की है। जो इसके प्राचीनतम होने का सबूत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जहां ये मंदिर बना है उस जगह पर मां ने चण्ड-मुण्ड नाम के असुरों का वध किया था। इसलिए ही ये माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
बिना काटे बकरे की दी जाती है बलि
यहां के मंदिर की बलि देने की प्रथा सबसे अलग है। मंदिर में बकरा तो आता है लेकिन उसका बलि नहीं चढ़ता है। मंदिर में माता के सामने बकरे को लाया जाता है लेकिन उसके प्राण नहीं लिया जाता है। इसके बाद पुजारी मां की मूर्ति को स्पर्श कर के थोड़ा सा अक्षत लेकर बकरे पर फेंकते हैं।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
बताया जाता है कि जब बकरा पर अक्षत डाला जाता है तो बकरा बेहोश हो जाता है। फिर थोड़ी देर बाद दोबारा अक्षत फेंकने की प्रक्रिया होती है तो बकरा उठ खड़ा होता है। यहां के लोग इस प्रक्रियां को माता का चमत्कार मानते है। मां मुंडेश्वरी मंदिर में होने वाले इस अनोखे बलि को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां के पुजारी बताते है की मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर एक चमत्कारिक शिवलिंग भी है।
ये शिवलिंग पंचमुखी है। ऐसी शिवलिंग भारत में बहुत कम देखने को मिलती है। यहां का शिवलिंग रोज सुबह, दोपहर और शाम में रंग बदलता है। सबसे अनोखी बात यह है की जब शिवलिंग रंग बदलता है तो कोई भी व्यक्ति नहीं देख पाता है। यहां के लोग का मानना है की शिव जी यहां पर साक्षात् निवास करते है। यहां की बलि प्रथा को सात्विक बलि प्रथा कहा जाता है। जो सबसे अनोखा है।
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- सिंह राशि के लिए साल 2022 रहेगा सफलता से भरपूर, पढ़े क्या होगा ख़ास
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी