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एक दूसरे के लिए प्रेरक
दोनों ही जातक एक दूसरे के लिए प्रेरक का काम कर सकते हैं क्योंकि दोनों में ही अपने अपने स्तर की योग्यता होती है और अगर इस पर काम करते हुए साथ निभाते हैं तो कमाल के काम भी कर सकते हैं. दोनों ही एक दूसरे के लिए पथ प्रदर्शक के रुप में सामने आ सकते हैं. कन्या राशि वाले तर्क-वितर्क में भी कुशल होते हैं और हाजिर जवाब भी होते हैं, यही बातें मेष में भी दिखाई देती हैं. जिस कारण आप एक दूसरे के निकट आ सकते हैं. मेष आपसे इस कारण प्रभावित होता है. कन्या राशि का जातक स्वभाव से संकोची व शर्मीले होते हैं और आप आसानी से लोगों से मिलते-जुलते नहीं हैं, थोड़े झिझकने वाले व्यक्ति होते हैं. लेकिन वहीं मेष राशि वाला अपनी भावनाओं और जल्दबाजी से प्रेम दर्शाने की चाह रखते है उन्हें इंतजार पसंद नही होता है. कन्या को मेष का उतावलापन कुछ परेशानी और कशमकश में डाल सकता है.
रिश्तों में सामंजस्यता की आवश्यकता
मेष राशि और कन्या राशि के जातकों की आपस में सामान्य स्थिति तो अच्छी रह सकती है पर यह अगर एक साथ छोटी छोटी बातों को मुद्दा बनाने से बचते हैं तो लम्बा साथ निभा सकते हैं. वैचारिक संबंधों के मसले में इन दोनों की आपसी समझ साधारण ही कही जाती है, इन दोनों के मध्य एक बात है की दोनों का अहम भाव होता है, जो टकराव का कारण भी बनता है. एक दूसरे पर प्रभाव जमाने की स्थिति भी रिश्ते को मज़बूती नहीं दे पाती है. आपका क्रोध और उसका तर्क विरोधाभास को बढ़ाने वाला होता है. इस वजह से तकरार भी होने में देर नहीं लगती है इसलिए इन बातों पर विचार करने की दोनों को जरूरत है.
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