खास बातें
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और सूर्य ग्रहों के राजा हैं। देवगुरु बृहस्पति ने 12 साल के बाद वृषभ राशि में प्रवेश किया है जो कि शुक्र की राशि है और भौतिक सुख सुविधाओं की वृद्धि को दर्शाती है।
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वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति अष्टम और लाभ स्थान के स्वामी होते हैं वही सूर्य चतुर्थ भाव के स्वामी होते हैं और अब सूर्य और गुरु आपके प्रथम भाव में ही विराजमान होंगे। वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य और गुरु का प्रथम भाव में विराजमान होना किसी वरदान से कम नहीं है। इस समय आपके भाग्य में वृद्धि होगी। आपकी बुद्धि और शिक्षा का आपको लाभ प्राप्त होगा। आपका सरकारी नौकरी में चयन हो सकता है। इसके अलावा आपको अपने व्यवसाय में अत्यधिक लाभ होने की उम्मीद की जा सकती है। विदेशी संबंधों से भी आपको अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव के स्वामी होते हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव के स्वामी होते हैं और अब सूर्य और गुरु आपके दशम भाव में विराजमान होने जा रहे हैं। सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय उनके कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाला होगा। आपको सम्मानित भी किया जा सकता है। इसके अलावा आपके पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। आप किसी नवीन संपत्ति को खरीद सकते हैं। आपके परिवार में किसी मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। इसके अलावा अगर आप अपने परिवार के व्यवसाय में रुचि रखते हैं तो आपको उसकी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी होते हैं वही देवगुरु बृहस्पति द्वितीय और लाभ स्थान के स्वामी होते हैं और अब कुंभ राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति और सूर्य चतुर्थ भाव में विराजमान होंगे। कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा रहने वाला है। आपको अपनी वाणी के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त हो सकती है। अगर आप सिनेमा, मीडिया या कम्युनिकेशन के फील्ड में काम करते हैं तो इस समय यह दोनों ग्रह आपको बहुत अच्छी सफलता देने वाले होंगे। अगर आप एक अच्छी और बड़ी नौकरी की तलाश में है तो आपकी यह तलाश भी पूरी हो सकती है।अगर आप कोई नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो भी सूर्य और बृहस्पति का यह संयोजन आपके लिए सफलता देने का काम करेगा।