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Home ›   Blogs Hindi ›   Lord Parshuram had established this Shivling to atone for the murder of his mother, know the glory of the temp

Parashurameshvara Temple :मां की हत्या का प्रायश्चित करने के लिए भगवान परशुराम ने स्थापित की थी ये शिवलिंग

Myjyotish Expert Updated 27 Jul 2022 02:58 PM IST
Parashurameshvara Temple
Parashurameshvara Temple - फोटो : google
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मां की हत्या का प्रायश्चित करने के लिए भगवान परशुराम ने स्थापित की थी ये शिवलिंग , जानें मंदिर की महिमा


सावन का हर दिन बहुत शुभ होता है। पूरा महीना बस महादेव की गूंजे ही सुनाई देती है। सावन के महीने में आने वाले त्योहारों का बहुत महत्व बड़ जाता हैं। जैसे सावन के महीने में आने वाले सोमवार को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस समय शिव भक्तों की भीड़ देखने बनती है। भक्तों की भारी भीड़ रहती है। ऐसे ही परशुरामेश्वर मंदिर की महिमा की बहुत विख्यात है।

वन के महीने में महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ये मंदिर यूपी के बागपत जिले के पास स्थित है। मंदिर में शिव भक्त जिस आस्था के साथ आते है उनकी आस्था पूरी भी होती है। ये मंदिर शिव भक्तों का आस्था का केंद्र बन चुका है। सावन के महीने में यहां पर शिवरात्रि को चार दिन मेल का आयोजन किया जाता है। दूसरे शब्दों में कावड़ का मेला कहा जाता है। सावन में कावड़ियों का बहुत महत्व है।  महादेव भक्त इस यात्रा को पूरी श्रद्धा से करते है। दूर दूर से भक्त कावड़िया लेकर नंगे पैर महादेव के दर्शन के लिए आते है। इसके साथ ही महादेव का जलाअभिषेक भी करते है।

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परशुराम ने की थी इस शिवलिंग की स्थापना –

पूरा नामक स्थान पर होने और परशुराम द्वारा इस शिवलिंग की स्थापना के कारण इस मंदिर को परशुरामेश्वर पूरा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। महादेव का ये मंदिर यूपी के बागपत जिले में है। परशुरामेश्वर मंदिर हिंडन नदी के किनारे स्थित है। मान्यता है की इस स्थान पर परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका के साथ परशुरामेश्वर मंदिर स्थान पर रहते थे। अपने पिता के कहने पर परशुराम जी ने अपने माता रेणुका का सिर काट दिया था। जब परशुराम जी को अपने इस कार्य का पश्च्यताप हुआ तब उन्होनें इस स्थान पर शिव जी का शिवलिंग की स्थापना करेकेे उनकी घोर तपस्या की। महादेव परशुराम जी की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी माता को पुनर्जीवित कर दिया। आशीर्वाद स्वरूप परशुराम जी को एक कुल्हाड़ी दी। एक समय में परशुराम जी क्रोधित होकर 21 क्षत्रियों का वध किया था। 

रानी ने कराया था मंदिर का निर्माण–

कुछ समय तक इस मंदिर की शोभा बनी रही पर समय के साथ इस स्थान का रूप ही बदल गया। पूरा मंदिर खंडहर में बदल गया इसके साथ ही शिवलिंग जिस स्थान पर था वहीं धस गया। कुछ समय तक ऐसे ही रहा। कहा जाता है की एक बार भानुमती की रानी सैर पर निकली थी। उस जगह से जब गुजर रही थी तब उनकी हाथी उस मंदिर के पास जाकर रुक गया और आगे बढ़ ही नहीं रहा था। सैनिकों के लाख प्रयास के बाद भी हाथी आगे नहीं बढ़ा। तब रानी भानुमती को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने उस स्थान की खुदाई करवाई। उस टीले की खुदाई करते समय शिवलिंग मिला। जिसके बाद रानी ने उस स्थान पर भव्य मंदिर की स्थापना करवाई। 

कावड़ यात्रा –

आज भी इस मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सावन के शिवरात्रि पर यहां चार दिन का कावड़ मेले का भव्य आयोजन किया जाता है। इस बार यह मेला 25 जुलाई से शुरू होकर 28 जुलाई तक चलेगा। इस मेले में शिव भक्त कावड़िया के साथ आते है । इस सब की खास व्यवस्था वहां की प्रशासन करती थी। अगर वर्तमान समय की बात करे तो कोरोना के बाद इस माह में बागपत के पूरा मंदिर में मेला लगा है। मान्यता है की इस मंदिर में लगभग 20 से 40 लाख कावड़ियों के मंदिर में आकर जलाभिषेक करने की उम्मीद है। इस मंदिर में प्रशासन सुरक्षा की विशेष व्यवस्था करता है। इसके अलावा ड्रोन और विमानों से सुरक्षा का जायज़ा लिया जाता रहता है।

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ये कहना है मंदिर के पुजारी का –

इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से अपनी कामना लेकर जाते है उनकी मुरादे पूरी होती है। परशुरामेश्वर पूरा महादेव मंदिर के पुजारी का कहना है की मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए रोजाना कांवड़िए और शिव भक्त पहुंच रहे हैं। भीड़ को देखते हुए लग रहा है कि कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की संख्या इस बार हर बार से ज्यादा होगी। पुजारी के अनुसार 26 जुलाई को शाम 06:48 बजे पर यहां झंडारोहण किया जाएगा।
 

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