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Home ›   Blogs Hindi ›   Lal Kitab:10 signs of bad Mars, and 16 measures to make life auspicious

Lal kitab: मंगल आपका भी जीवन कर रहा है खराब? इन 10 संकेतों से पहचानें और 16 उपायों से बनाएं जीवन मंगलमय

Shaily Prakashशैली प्रकाश Updated 23 May 2024 02:20 PM IST
मंगल खराब होने के संकेत और उपाय
मंगल खराब होने के संकेत और उपाय - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Lal Kitab Mangal Dosh: मंगल खराब होने से जातक के जीवन में बहुत सारी नकारात्मकता आने लगती हैं, लेकिन इसके बारे में कैसे पता करें। इसके लिए लाल किताब में बहुत कुछ बताया गया है। लाल किताब में मंगल ग्रह खराब होने के संकेत बताए गए हैं, साथ ही उसे सही करने के उपाय भी बताए गए हैं।
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Lal Kitab Mangal Ke Upay: लाल किताब के अनुसार कुंडली में मंगल खराब और अच्छा होता है। यदि मंगल खराब है, तो जीवन में कई तरह की परेशानियां खड़ी होती हैं। मंगल अच्छा है तो जीवन में सभी कुछ मंगलमय ही होगा। यदि आपका मंगल खराब है तो 8 तरह के लक्षण आप में नजर आएंगे। यदि यह समझ में आ जाए कि मंगल खराब है तो फिर उसका कारण और उपाय भी जान लें।
 

मंगल खराब की निशानी


1. मंगल नसों में दौड़ता खून है। यदि आपका खून खराब है तो कई तरह की बीमारी और समस्याएं पैदा होती हैं। मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होती है। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। उच्च रक्तचाप हो जाता है। बहुत ज्यादा खराब है तो कैंसर जैसे रोग होते हैं।

2. वात रोग, गठिया रोग, फोड़े-फुंसी होते हैं, जख्मी या चोट, बार-बार बुखार आना, शरीर में कंपन होते रहना, गुर्दे में पथरी हो जाती है, आदमी की शारीरिक ताकत कम होना, एक आंख से दिखना बंद हो जाना, शरीर के जोड़ काम नहीं करना और शरीर पर काले की बजाए लाल तिल की संख्या बढ़ना मंगल खराब होने की निशानी है।

3. मंगल खराब है तो जातक में आपराधिक प्रवृत्ति का जन्म होता है। वह गुंडा, चोर, डाकू बन सकता है या वह हर समय व्यर्थ ही गुस्सा दिखाने वाला मूर्ख व डरपोक व्यक्ति होगा। खराब मंगल के कारण थाने या जेल में रातें गुजारना पड़ती हैं।

4. यदि आप हर समय आशंकित, भयभीत और चिंतित रहते हैं तो यह माना जाएगा कि मंगल आपका खराब है।

5. कुंडली के किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है।

6. चतुर्थ और अष्टम भाव में मंगल अशुभ माना गया है। राहु, शनि और केतु के साथ मंगल अशुभ माना गया है।

7. सूर्य और शनि मिलकर मंगल खराब बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता।

8. धर्म का मजाक उड़ाते रहना, भाई या मित्र से दुश्मनी मोल लेना, निरंतर क्रोध करना भी मंगल खराब होने की निशानी है। 

9. व्यक्ति हर समय झगड़ता रहता है। बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। 

10. बच्चे पैदा करने में अड़चन आती हैं या पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है तो मंगल खराब समझें।
 

मंगल को शुभ करने के लिए लाल किताब के अचूक उपाय

 
  1. घर के पश्चिम कोण में सुधार करें।
  2. गुड़ खाएं और खिलाएं और गुड़ का दान करें।
  3. क्रोध करना, मांस, मटन, अंडे या मछली खाना छोड़ दें।
  4. सफेद सुरमा 43 दिन तक आंखों में लगाएं।
  5. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ते रहें।
  6. कहीं पर भी एक नीम का पेड़ लगाएं या नीम की पूजा करें।
  7. पेट और खून को साफ रखें। इसके लिए सूर्य नमस्कार करें।
  8. अष्टम का मंगल है तो तंदूरी मीठी रोटी कुत्ते को 40 या 45 दिन तक खिलाएं और खिलाकर गले में चांदी की चेन पहनें। 
  9. सप्तम का मंगल है, तो बुध और शुक्र का उपाय करने के साथ ही घर में ठोस चांदी रखें। 
  10. चौथा मंगल है तो वटवृक्ष की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। चिड़ियों को दाना डालें, बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं। अपने पास सदैव चांदी रखें। 
  11. मंगल लग्न में हैं तो शरीर पर सोना धारण करना चाहिए। 
  12. मंगल 12वें भाव में हैं तो नित्य सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें। एक किलो बताशे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान दें।
  13. 43 दिन तक गुड़ और गेहूं का दान दें और उसके बाद अगले 3 वर्षों तक गुड़ और गेहूं का रविवार को मंदिर में दान देते रहें।
  14. यदि शनि 7वें और चंद्र एवं मंगल तीसरे, पांचवें या सातवें भाव में एकत्रित हों तो 43 दिन तक हलवे में दूध मिलाकर मंदिर में बांटे और अगले तीन वर्षों तक हर मंगलवार को मंदिर में हलवा बांटें।
  15. यदि सातवें भाव में शनि विराजमान हैं और चंद्रमा अकेले तीसरे, पांचवें या सातवें भाव में हो तो ऐसी अवस्था में चावल में दूध मिलाकर 43 दिन तक दान करें और इसके बाद अगले 3 वर्षों तक हर सोमवार को मंदिर में दान करें।
  16. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें और मंगलवार एवं शनिवार को उनके मंदिर में जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें सिंदूर अर्पित करें। तीन वर्ष तक यह क्रम जारी रहना चाहिए।
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