सूर्य देव की कृपा पाने के लिए करें कुंभ संक्रांति पर ये उपाय
सनातन धर्म में संक्रान्ति का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य देव एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. इस प्रकार 13 फरवरी को सूर्य देव मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को मनाई जाएगी. धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि संक्रांति के दिन पवित्र नदी और सरोवर में स्नान, ध्यान, पूजा, जप, तप और दान करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही समस्त पापों का नाश होता है.
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इस दिन सूर्य देव की पूजा करने का विधान है. अगर आप भी पाना चाहते हैं भगवान सूर्य देव की कृपा तो कुंभ संक्रांति पर ऐसे करें उनकी पूजा आइए जानते हैं. हिन्दी पंचांग के अनुसार 13 फरवरी को कुंभ संक्रांति है. इस दिन सुबह 7:02 बजे से 9:57 बजे तक शुभ मुहूर्त है. इस दौरान साधक स्नान, ध्यान और सूर्य देव की उपासना कर सकते हैं.
कुंभ संक्रांति तिथि और मुहूर्त उपाय
हिन्दी पंचांग के अनुसार 13 फरवरी को कुंभ संक्रांति है. इस दिन सुबह 7:02 बजे से 9:57 बजे तक शुभ मुहूर्त है. इस दौरान साधक स्नान, ध्यान और सूर्य देव की उपासना कर सकते हैं. इस दिन काले तिल का दान करने का विधान है.
इससे साढ़े साती और ढैय्या दोष का प्रभाव कम होता है. इसके लिए काले तिल का दान करें. संक्रांति के दिन लोहे से बनी चीजों का दान गरीबों और जरूरतमंदों को करना चाहिए. अगर आप आर्थिक रूप से मजबूत हैं तो गरीबों को खाना खिलाना चाहिए. घर के मुख्य द्वार पर घी के दो दीपक जलाएं, इससे भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं.
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सूर्य पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आराध्य भगवान श्री हरि विष्णु का स्मरण और वंदन कर दिन की शुरुआत करें. इसके बाद, इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें और ध्यान करें. फिर जप कर स्वयं को शुद्ध करें. अब जल में काले तिल या रोली मिलाकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें. इस समय निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें.
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगतपते.
करुणामयी माता गृहणार्घ्य दिवाकर.
उसके बाद पीले वस्त्र धारण कर फल, फूल, धूप-दीप, तिल, जौ, अक्षत और दूर्वा आदि से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें. फिर आरती उतारकर भगवान से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें. पूजा समाप्त होने के बाद जल धारा में काले तिल और नारियल अवश्य प्रवाहित करना चाहिए. इसके बाद गायों को चारा खिलाना चाहिए. साथ ही जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देना उत्तम होता है. दान में धन इत्यादि के अलावा अन्नदान भी किया जा सकता है.
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